द फॉलोअप डेस्क
अंतरिक्ष मिशन के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर वैज्ञानिकों द्वारा कई तरह के प्रयोग किए जाते हैं। इनमें पौधों को उगाने के प्रयोग भी शामिल हैं, ताकि यह समझा जा सके कि बिना गुरुत्वाकर्षण के पौधे कैसे बढ़ते हैं। यह शोध भविष्य में चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर खेती के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।
अब तक किए गए प्रयोगों में कई पौधे सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में उगाए जा चुके हैं। 1982 में सोवियत मिशन के दौरान सबसे पहले थेल क्रेस नामक पौधा अंतरिक्ष में उगाया गया, जो बीज भी दे सका। 1997 में MIR स्टेशन पर सरसों का पौधा उगाया गया।
2015 में NASA ने स्पेस स्टेशन में लाल लेट्यूस उगाया जिसे अंतरिक्ष यात्रियों ने खाया भी। इसके बाद 2016 में जिनिया नाम का फूल उगाया गया, जो अंतरिक्ष में खिला पहला फूल बना।
चीन और NASA के अन्य प्रयोगों में भी सफलताएं मिलीं। 2019 में चीन के चांग'ई-4 मिशन में चांद पर कपास का बीज अंकुरित किया गया, हालांकि वह ठंड के कारण ज्यादा विकसित नहीं हो सका। 2021 में NASA ने ISS पर मिर्च उगाई जिसे अंतरिक्ष यात्रियों ने खाया और उसका स्वाद भी सराहा। 2022 में पहली बार वैज्ञानिकों ने चांद की मिट्टी में पौधों को उगाने में सफलता पाई।
अब भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। 2025 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मूंग और मेथी उगाने का प्रयास करेंगे। इन दोनों पौधों को सुपरफूड माना जाता है और अंतरिक्ष में पोषण देने के लिहाज से बेहद उपयोगी हैं।
इन प्रयोगों का उद्देश्य सिर्फ खाना उगाना नहीं है, बल्कि यह ताजगी, ऑक्सीजन उत्पादन और अंतरिक्ष यात्रियों के मनोबल को बनाए रखने में भी मदद करेगा।