द फॉलोअप टीम, गोड्डा:
बसंतराय थाना क्षेत्र के मनसा बिशनपुर की रहने वाली लुधना बंगाल के मालदा में भटक गयी थी। उसे दो लोगों ने सही सलामत गोड्डा जिला स्थित उसके घर पहुंचा दिया है। दरअसल लुधना मंद बुद्धि लड़की है और कम सुनती है। 26 वर्ष है और उसकी शादी बिहार के पीरपैंती जिले के कतलू मांझी से तीन साल पहले हुई। जब कतलू दिल्ली गया, तो उसकी सास और ननद ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया। तंग आकर लुधना ससुराल से मायके जाने के लिए एक जून को निकली और रास्ता भटक गई। वह गोड्डा नहीं पहुंचकर बंगाल के मालदा पहुँच गयी।
दो दिनों तक भटकती रही लुधना
लुधना भटकते हुए मालदा जिले के रतुआ थाना क्षेत्र के जामनगर पहुंची। जामनगर में एक घर के सामने बने सरकारी चबूतरे पर अपने आठ माह के मासूम बेटे को लेकर सिर्फ रो रही थी। लोगों ने उससे पूछताछ भी की मगर लुधना कुछ बता पा रही थी और न ही वह किसी को अपनी भाषा समझा पा रही है। कुछ महिलाओं ने इसे अपने घर ले जाकर खाना खिलाया उर बच्चे के लिए दूध का भी प्रबंध कर दिया। दो दिनों बाद लुधना अब घर जाने को बेचैन थी और गाँव के लोग इसे घर भेजने को मगर न तो पता ठिकाना कुछ बता पा रही थी और न ही और कुछ पुख्ता जानकारी थी।
दो ट्रक चालकों ने लुधना को घर पहुंचाया
लुधना इदरिस अली नामक ट्रक चालक के घर में थी। इदरिस की बीवी ने इदरिस को कहा किसी भी तरह इसको इसके घर तक पहुंचा दीजिए। आपलोग ट्रक लेकर बहुत जगह जाते हैं ,पता लगाइए और कोई उपाय कर इसके परिजनों तक पहुंचाइए। तब इदरिस ने अपने मित्र अबू ताहिर से बात की वो भी एक ट्रक चालक था। इदरिस और अबू ताहिर ने टूटी फूटी हिंदी में लुधना से बात करने का प्रयास किया तो लुधना ने धीरे धीरे कर माता, पिता, भाई, गाँव, थाना का नाम तो बताया, जो उन्होंने कागज में लिखा और लुधना को लेकर स्थानीय रतुआ थाना लेकर गए। पुलिस थाने में लुधना के बताए नाम पता को नोट अंग्रेजी में किया और थाने की मोहर लगाकर इन्ही दोनों के ऊपर लुधना को उसके परिजनों तक सौंप कर आने की जिम्मेदारी सौंप दी। दोनों हैरान परेशान कि नयी अनजान जगह पहुंचेंगे कैसे खर्च कितना आएगा ये भी नही पता। लॉक डाउन की वजह से दोनों की गाड़ी बंद थी इनके भी हाथ तंग थे फिर इनलोगों ने गाँव में कुछ ग्रामीणों के सामने ये बात रखी। ग्रामीणों ने छोटी छोटी रकम जमा कर साढ़े चार हजार दिए और दोनों ने कुछ पैसे मिलाया तो दो हजार और बढे। खैर इन्होने हिम्मत दिखाई और 10 जून को लुधना और उसके बेटे को लेकर दोनों निकल पड़े.
सफ़र में मुश्किलें और भी मिली
मालदा फेरी घाट से गंगा पार कर चारों राजमहल घाट पर उतरे। अब यहाँ से एक ऑटो रिजर्व कर गोड्डा के लिए चले तो ऑटो चालक ने 1500 रूपये में इन्हें पाकुड़ पहुंचा दिया। वहां से गोड्डा के लिए दो हजार में दूसरी ऑटो कर गोड्डा 10 जून की शाम लगभग साढ़े सात पहुंचे। अब गोड्डा पहुंचकर इन्हें ये समझ नही आ रहा था कि यहाँ से कहाँ जाएँ और कैसे? बस स्टैंड में भटकता देख किसी ने एक पत्रकार को सूचना दी वाहन से तीनो को लेकर नगर थाना पहुंचा गया। थाने में OD अफसर दिनेश से पूरी खानी बतायी गयी। लुढ़ना ने जो पता बताया था उसकी पड़ताल की गयी। एक महिला पर्यवेक्षिका द्वारा करवाई क्योंकि सबसे सटीक जानकारी किसी गाँव की आंगनबाड़ी सेविका ही दे सकती है।
और इस तरह अपने घर पहुंची लुधना
बसंतराय के स्थानीय पत्रकार नाहीद को इस काम पर लगाया। सब की मेहनत रंग लायी लुधना की तस्वीर को उसके माता पिता ने पहचाना और फिर लुधना से फोन पर बात करवाई। तब तक मनसा बिशनपुर के मुखिया ने गोड्डा में रह रहे अपने बेटे को भी थाने भेजा जिसे लुधना ने झट से पहचान लिया और आखिर मिल गया लुधना को उनका परिवार। साढ़े नौ बजे रात को लुधना अपने परिजनों से मिली और घर गयी। लुधना के परिजनों को सुचना मिलने के बाद वहाँ से लोग एक वाहन का प्रबंध कर नगर थाना पहुंचे और लुधना ने रो रोकर अपनी आप बीती उन्हें सुनाई। लुधना के माता पिता ने इदरिस और अबू ताहिर के पैर छूकर दोनों का आभार जताया और फिर कागजी खाना पूर्ति कर लुधना को अपने घर ले गए।