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World Population Day 2021: क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस, जानिए! कब हुई थी इसकी शुरुआत

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द फॉलोअप टीम, रांची:

11 जुलाई को हर साल पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि, दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या को कंट्रोल करने में अपना योगदान दें। जनसंख्या वृद्धि विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है।  खासकर विकासशील देशों में ‘जनसंख्या विस्फोट’ गहरी चिंता का विषय है। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 136 करोड़ से भी पार है। 

1989 में हुई थी दिवस मनाने की शुरुआत
11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा हुई थी। उस समय विश्व की जनसंख्या लगभग 500 करोड़ थी।  इस दिन बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के लिए जागरूक किया जाता है। 

झारखंड में युवाओं की बड़ी आबादी है
झारखंड में 70% आबादी 35 साल तक की है। देश भर में झारखण्ड 25 साल से कम आयु के युवा आबादी तीसरे स्थान पर है। 21 साल की आयु में झारखण्ड  युवा अवस्था का आनंद ले रहा है। भारत के रजिस्ट्रार जनरल की 2020 में आई एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) रिपोर्ट के अनुसार देश में जहां 25 साल से कम के युवाओं की आबादी 46.9% है, वहीं झारखंड में यह संख्या 51.9% है। दो राज्य- बिहार और यूपी झारखण्ड से इस मामले में आगे हैं। बिहार में 25 वर्ष से नीचे की आबादी 57.2% है और यूपी में 52.7 प्रतिशत है। झारखण्ड में कामकाजी आबादी राष्ट्रीय औसत से कम है। कामकाजी आबादी का राष्ट्रीय औसत 66% है और झारखंड में यह 63.9% ही है।



झारखंड में बुजुर्गों की जनसंख्या दर 
एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की जनसंख्या 6.4% है। वहीं पूरे देश में इस उम्र की आबादी की राष्ट्रीय औसत 8.1% है। झारखंड 60 साल से अधिक आयु की आबादी के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर 20 राज्यों से पीछे है। 65 वर्ष के पार की आबादी 3.9 प्रतिशत है।

100 साल में बढ़ी इतनी आबादी 
वहीं रांची की आबादी 100 वर्षों में 498 प्रतिशत बढ़ गई। 1921 की जनगणना के अनुसार, रांची की कुल आबादी 7 लाख 11 हजार 109 थी, जो 2021 में लगभग 35 लाख 42 हजार 566 होगी।1921 से 1941 तक की जनगणना में महिलाओं की आबादी 51 प्रतिशत थी, जो 1951 से लगातार घटने लगी। जो घटकर 3 प्रतिशत कम यानी 48 प्रतिशत हो गई है। 

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव 
बढ़ती जनसंख्या से परिस्थितियां प्रतिकूल हो रही है। हाल के दशक में जनसंख्या वृद्धि तेजी से हुई है जिसका असर संसाधन के साथ विकास पर पड़ रहा है। बेरोजगारी बढ़ रही है। बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति कृषि जोत कम हो रही है। बढ़ती जनसंख्या अब लोगों के जीवन में कई तरह की समस्या है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन हो रहा है, पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है।  जमीन नहीं बढ़ रही है लेकिन जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 



प्रौद्योगिकी ने भी बढ़ाई है समस्या
प्रौद्योगिकी ने मानव को पृथ्वी पर जीवित रहने व आगे बढ़ने में मदद की है। इसमें पर्यावरण ने भी फलने फूलने का साधन दिया है। वहीं प्रौद्योगिकी के गलत उपयोग से वन्य जीवन नष्ट हो रहे हैं। संसाधनों का दोहन बढ़ रहा है। जानकार मानते है अगर समय रहते जनसंख्या नियंत्रण नहीं हुआ तो गंभीर समस्या लोगों को झेलनी पड़ेगी।