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कोई कोरोना संक्रमित हो तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यहां पढ़ लीजिए पूरी डिटेल

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द फॉलोअप टीम, डेस्क: 

भारत में कोरोना के मामलों में लगातार उछाल जारी है। गुरुवार को देश में 1 लाख 14 हजार से ज्यादा नए संक्रमित मिले। इस बीच ओमिक्रॉन के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऐसे वक्त मे लोगों के मन में सवाल होगा कि कोरोना की इस लहर से कैसे बचें। यदि कोई कोरोना संक्रमित हो जाता है तो किन बातों का खयाल रखना होगा। इस आलोक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमितों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन की प्रमुख बात ये है कि अब क्वारंटीन की अवधि 14 दिन से घटाकर 7 दिन कर दी गई है। 

घटा दी गई है क्वारंटीन की अवधि
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक क्वारंटीन की अवधि को 14 दिन से घटाकर 7 दिन कर दिया गया है। ऑक्सीजन सैचुरेशन की मात्रा भी 94 फीसदी से घटाकर 93 फीसदी कर दी गई है, यानी कि यदि किसी मरीज की ऑक्सीजन सैचुरेशन क्षमता 93 फीसदी है तो उसे गंभीर लक्षण नहीं माना जायेगा। गौरतलब है कि अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत तीसरा देश है जिसने क्वारंटीन की समय सीमा घटा दी है। 

अब सात दिन का होगा आइसोलेशन
गाइडलाइन के मुताबिक क्वारंटीन 7 दिन का होगा। जिस दिन व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया उसी दिन से क्वारंटीन की अवधि भी गिनी जायेगी। यदि मरीज को इस दरम्यान लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आता तो 8वें दिन उसे कोरोना निगेटिव माना जायेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी कहा कि मरीज को दोबारा जांच करवाने की जरूरत दिन है। एसिम्पटोमेटिक मरीज उनको माना जायेगा जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई हो लेकिन उसमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं हो। विशेषज्ञों का अनुमान है कि गुरुवार को जो 1 लाख से ज्यादा संक्रमित सामने आए हैं उनमें से 60 फीसदी मरीज ओमिक्रॉन वेरिएंट के हैं। अधिकांश मरीजों में कोरोना संक्रमण के गंभीर लक्षण नहीं है। गौरतलब है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट के मुकाबला 30 गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। 

किन मरीजों को मानेंगे एटिम्टोमेटिक हल्के अथवा माइल्ड लक्षण वाले मरीज उनको माना जायेगा जिनमें बुखार हो। या फिर जिनमें बुखार ना हो लेकिन ऊपरी श्वसन तंत्र से जुड़े लक्षण हों। हालांकि इसमें सांस लेने में दिक्कत ना हो। ऑक्सजीन सैचुरेशन की मात्रा 93 फीसदी से ज्यादा हो। यदि डॉक्टर लिख कर दे कि मरीज एसिम्पटोमेटिक है या उसमें हलके लक्षण हैं तो ऐसॆ मरीजों को होम आइसोलेट किया जायेगा। ऐसे लोगों को होम आइसोलेट किया जायेगा जिनके घर पर मरीज के साथ-साथ उनके संपर्क में आये परिवार के बाकी सदस्यों को भी क्वारंटीन करने की व्यवस्था हो। 

होम आइसोलेशन में किन बातों का रखें खयाल
मरीज की देखभाल के लिए 24 घंटे एक व्यक्ति रहना चाहिए। देखभाल करने वाला औऱ डॉक्टर एक दूसरे के संपर्क में तब तक रहे जब तक मरीज का होम आइसोलेशन खत्म नहीं हो जाता। एक कंट्रोल रूम का नंबर परिवार के पास परेगा और समय-समय पर आइसोलेट मरीज को गाइड किया जायेगा। ये भी निर्देश दिया गया है कि 60 से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों अथवा गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को चिकित्सक की अनुमति के बाद ही होम आइसोलेट किया जायेगा। एचआईवी या कैंसर से पीड़ित मरीजों को होम आइसोलेट नहीं किया जाता है लेकिन यदि डॉक्टर होम आइसोलेशन में इलाज की सलाह देता हो ऐसा किया जा सकता है।

मरीज के परिजन कौन सी सावधानी बरतें
घर पर आइसोलेट मरीज को परिवार के बाकी सदस्यों से दूर रखना होगा। विशेष तौर पर बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को। जिस कमरे को स्वास्थ्य विभाग मरीज के लिए चुनेगा, उसी कमरे में आइसोलेट रहना होगा। बार-बार कमरा ना बदलने की हिदायत दी गई है। आइसोलेशन वाला कमरा खुला और हवादार होना चाहिए। कमरे में ताजी हवा आनी चाहिए। 
आइसोलेशन रहने वाले मरीज को कमरे के अंदर भी ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना होग। 8 घंटे बाद यदि मास्क गीला हो जाता है तो उसे बदल देना चाहिए। मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति और मरीज दोनों को एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। मरीज को आराम करना चाहिए औऱ शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। मरीज का बर्तन घर के बाकी लोग साझा ना करें। मरीज को पल्स और ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहना होगा।