द फॉलोअप टीम, रांची:
फादर स्टेन स्वामी के संघर्षों को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। यह बातें इप्टा, एआइएसएफ, प्रलेसं और आदिवासी महासभा के प्रतिनिधियों ने एकमेव स्वर से कही हैं। इन संगठनों ने मिलकर आज कांटा टोली चौक के पास प्रतिरोध सभा की। फादर स्टेन स्वामी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इप्टा के राज्य अध्यक्ष श्यामल मलिक, छात्र संघ के मेहुल मृगेंद्, फरजाना फारूकी और आलोका कुजूर के नेतृत्व में आयोजन हुआ। जिसमें इप्टा के श्यामल मलिक ने केंद्र सरकार पर उनकी मौत का आरोप लगाया। कहा कि फादर स्टेन स्वामी को एक साजिश के तहत जेल भेजा गया, ताकि झारखंड की संपदा जल जंगल जमीन को लूटा जा सके। जबकि 84 वर्षीय वृद्ध फादर स्टैन स्वामी न तो चल सकते थे ,ना सहीसे बोल सकते थे। लेकिन मुंबई की सभा में भड़काऊ भाषण देने का आरोप उनपर लगाया गया। ऐसी परिस्थिति में देश के सामाजिक और राजनीतिक सगंठन एवं दबे-कुचले शोषित पीड़ित की आवाज उठाने वाले में काफी गुस्सा है।
फादर स्टेन स्वामी को मिले शहीद की दरजा
इप्टा नेत्री फरजाना फारूकी ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी को शहीद की दरजा मिलनी चाहिए। क्योंकि जल, जंगल और जमीन के आंदोलन को तेज करने, उनके हकअधिकार वापस लाने के लिए वो लगातार और लड़ते रहे। सोशल एक्टीविस्ट अलोका कुजुर ने फादर स्वामी के संघर्षों को याद किया। कहा कि फादर स्टेन स्वामी हमेशा हमारे बीच वैचारिक रूप से जिन्दा रहेंगे। हम उनके संघर्षों को आगे बढ़ाएंगे। एआईएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष मेहुल मृगेंद्र ने कहा कि फादर स्टेंन स्वामी के आंदोलन को कुचलने नहीं दिया जाएगा। पूरे राज्य में केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में आंदोलन तेज किया जाएगा।
फादर स्वामी के विचारों की हत्या नामुमकिन
सुशांत मुखर्जी ने कहा की भाजपा की सरकार ने उनकी हत्या की लेकिन उनके विचारों की वो हत्या नामुमकिन है। आदिवासी महासभा की और से अजय सिंह ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी आदिवासी और दलितों के बीच एक सेतु का काम करते थे। वो झारखंड की सास्कृतिक विरासत के पुरोधा थे। प्रतिरोध सभा में श्यामल चक्रवर्ती, इफ्ताखार अहमद, सपना समद, बिरसी गोसाई , पूनम कुज्जूर, अंकित बखला, कलावती देवी, डोरोथी सुरीन,ललिता तिर्की , उर्मिला कुजूर, फुलमनी बारला, मनोज ठाकुर और वीरेंद्र विश्वकर्मा आदि शामिल हुए।