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लोजपा से छिन गया बंगला! चाचा पशुपति को मिली 'सिलाई मशीन' तो भतीजे चिराग को 'हेलिकॉप्टर'

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द फॉलोअप टीम, पटना: 

केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी को दो गुट चिराग पासवान गुट और चाचा पशुपति पारस गुट को अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किया है। निर्वाचन आयोग ने अंतरिम उपाय के तौर पर दोनों गुटों को अलग-अलग नाम भी दिया है। निर्वाचन आयोग ने चिराग पासवान गुट वाली पार्टी को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और पशुपति पारस वाले गुट को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी नाम दिया है। दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न भी दिया गया है। 

अलग-अलग चुनाव चिह्न का आवंटन किया गया
गौरतलब है कि चिराग पासवान गुट औऱ पशुपति पारस गुट को लिखे अलग-अलग पत्र में निर्वाचन आयोग ने चिराग पासवान को हेलिकॉप्टर का चुनाव चिह्न दिया है वहीं पशुपति पारस गुट के हिस्से सिलाई मशीन आई है। आयोग ने पशुपति पारस को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आपके अनुरोध पर विचार करने के बाद आयोग ने आपके समूह के लिए राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न सिलाई मशीन का आवंटन किया है। आयोग ने कहा कि मौजूदा बिहार उपचुनाव में यदि आपका समूह किसी को उम्मीदवार बनाता है तो उसे बतौर चुनाव चिह्न सिलाई मशीन का इस्तेमाल करना होगा। 

2 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने जारी किया आदेश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2 अक्टूबर को केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने अंतरिम आदेश जारी किया था। इसमें निर्वाचन आयोग ने दोनों गुटों को लोक जनशक्ति पार्टी का नाम या उसके चुनाव चिह्न बंगले का उपयोग करने से तब तक रोक दिया था कि जब तक निर्वाचन आयोग दोनों गुटों के बीच जारी विवाद का निपटारा नहीं कर लेता। गौरतलब है कि अंतरिम आदेश पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और 2 निर्वाचन आयुक्तों राजीव कुमार और अनूपचंद्र पांडे का हस्ताक्षर है। ये आदेश बिहार में 2 विधानसभा, देश में 30 विधानसभा औऱ 3 लोकसभा उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को होने वाली वोटिंग तक मान्य रहेगा। गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही चाचा-भतीजा में खटपट शुरू हो गयी थी। 

लोजपा में चाचा और भतीजा गुट में जारी है विवाद
कहा जाता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में चाचा पशुपति पारस की इच्छा के खिलाफ जाकर चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ा था। पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि चिराग इस दरम्यान भारतीय जनता पार्टी को साथी और पीएम मोदी को अपना राम बताते रहे। विधानसभा चुनाव के बाद से ही खटपट शुरू हो गई थी। इस बीच पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और पार्टी पर दावा ठोंका। पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता बना दिया गया। चिराग पासवान को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।