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70 से लेकर 700 रूपये तक की चाय मिलती है लॉ ग्रेविटी में, सभी कर्मचारी हैं मूक बधिर 

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द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर:

अगर आप जमशेदपुर गए हैं और चाय के शौकीन हैं तो आपके लिए सबसे अच्छी चाय की दुकान हो सकती है लॉ ग्रेविटी।  लॉ ग्रेविटी में  दुनिया की लगभग हर तरह की चाय मिलती है। यह दुकान जमशेदपुर के सर्किट हाउस इलाके में में है। बिष्टूपुर से सोनारी जाने वाली रास्ते के बीचों बीच यह दुकान में पड़ता है। यहां 70 रुपए से लेकर 750 रुपए तक की मिलती है। 

सभी कर्मचारी दिव्यांग हैं
इस दुकान की सबसे खास बात यह है कि यहां पर काम करने वाले सभी कर्मचारी दिव्यांग है। यहां दुकान में चाय पीने के शौकीन लोगों के लिए अलग-अलग कमरे हैं। जमीन पर या लॉन में, कहीं भी बैठकर चाय पी सकते हैं। यहां काम करने वाले मूक-बधिर स्टाफ ही चाय नाश्ता बनाते  हैं। लोगों को यहां पर चाय सर्व करने का तरीका काफी पसंद आता है। 

अलग अलग चाय मिलती है 
दुकान के संचालक अविनाश दुग्गड़ ने बताया कि पहले वो कॉरपोरेट की नौकरी करते थे। वो एडवेंचर के शौकीन हैं और शौक के कारण उन्हें कई बार विदेश भी जाना पड़ा। वो विदेशो के कैफे में देखते थे कि यहां कई प्रकार की चाय मिलती है। वही देखकर उनको आइडिया मिला और अविनाश ने जमशेदपुर में चाय की दुकान खोलने की सोची। उन्होंने स्टडी की तो उनको पता चला कि 3 हजार प्रकार की चाय पत्ती मिलती है। स्टडी करते करते 5-6 महीने बाद चाय की दुकान खोलने की योजना बनाई। पहले जेआरडी टाटा गोल चक्कर के पास चाय बेचना शुरू किया। वह प्रयास सफल रहा था। 

दुकान में मिलती है 150 तरीके की चाय
लॉ ग्रेविटी में 70 रुपए से लेकर 750 रुपए तक की चाय मिलती है। यहां पर 150 प्रकार की चाय मिलती है जिसके लिए अलग-अलग 12 देशों से चाय मंगाया जाता है। अविनाश ने बताया कि यहां पर आने वाले ग्राहकों का ध्यान रखा जाता है।  जिस ग्राहक की जो मांग होती है उस प्रकार की चाय यहां पर उपलब्ध है।  चाय के ऑर्डर के हिसाब से कप दिया जाता है। अगर कटिंग चाय की डिमांड होती है तो कांच के ग्लास में चाय बनाकर सर्व किया जाता है।  इसका अर्थ होता है कि आपको चौक चौराहों मे मिलने वाली चाय की फीलिंग हो। 

मूक बधिर लड़की को मिला काम 
अविनाश ने बताया कि  शुरुआत में उनके पास एक मूक-बधिर लड़की काम मांगने आई थी।  उस समय उनके पास लड़की को देने के लिए कोई काम नहीं था।  उन्हें लगा कि अगर चाय बनाना सीखा दिया जाए तो यह तो लड़की चाय भी बना सकती है और आत्मनिर्भर भी बन सकती है। उन्होंने कई जगहों पर दुकान ढूंढ़ना शुरू किया।  

चाय के साथ मिलती है कई अन्य सुविधा
उनके दुकान में दो अनाथ लड़कियां सहित 11 कर्मचारी हैं। उनके दुकान में सभी कर्मचारी मूक बधिर हैं। उनके सारे कर्मचारी  साफ सफाई का भी खुब्ब ध्यान रखते हैं। कर्मचारी सुबह नौ बजे पहुंच जाते हैं और काम में लग जाते हैं। यहां पर दो अनाथ लड़कियां भी है। अविनाश बताते हैं कि सभी कर्मचारी इशारे में ही बातों को समझते हैं। वह पहले खुद मूक बधिरों को ट्रेनिंग देते हैं।  उसके बाद चाय बनाने का तरीका सिखाया जाता है।  उन्होंने बताया कि सभी कर्मचारी को समय पर वेतन के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी दी जाती है।