द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
फ़ोन टेपिंग से जुड़ी पेगासस की कहानी थम नहीं रही है। दिल्ली से रांची तक माहौल गर्म है। लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है। भाजपा जहां पेगासस की कहानी को फर्जी कह रही है। इसे देश को गुमराह करने की सुनियोजित साजिश बताया है। वहीं समूचा विपक्ष इसकी जांच कराने की मांग पर अड़ा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने जेपीसी जांच की मांग की ही है। अब भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार से कहा है कि मोदी सरकार को देश की जनता को इस मामले में जवाब देना होगा।
It is quite clear that Pegasus Spyware is a commercial company which works on paid contracts. So the inevitable question arises on who paid them for the Indian "operation". If it is not Govt of India, then who? It is the Modi government's duty to tell the people of India
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 19, 2021
सुब्रमण्यम स्वामी ने किया ट्विट
सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संबंध में ट्विट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा कि पेगासस स्पाईवेयर एक कमर्शियल कंपनी है, जो पैसा लेकर ही काम करती है। इसलिए एक सवाल लाज़मी है कि भारतीय लोगों पर जासूसी के लिए उन्हें पैसे किसने दिए। अगर भारत सरकार ने नहीं दिए, तो आख़िर किसने दिए. मोदी सरकार को इसका जवाब देश की जनता को देना चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले में रिपोर्ट आने के पहले भी एक ट्वीट किया था।
सपा बोली, फ़ोन-जासूसी एक लोकतांत्रिक अपराध
सपा नेता अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा है, फ़ोन की जासूसी करवाकर लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुनना ‘निजता के अधिकार’ का घोर उल्लंघन है। अगर ये काम भाजपा करवा रही है तो ये दंडनीय है और अगर भाजपा सरकार ये कहती है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी नाकामी है। फ़ोन-जासूसी एक लोकतांत्रिक अपराध है।
मायावती ने किए दो ट्विट
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस संबंध में दो ट्विट किए हैं। पहले ट्विट में कहा है, जासूसी का गंदा खेल व ब्लैकमेल आदि कोई नई बात नहीं किन्तु काफी महंगे उपकरणों से निजता भंग करके मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, अफसरों व पत्रकारों आदि की सुक्षम जासूसी करना अति-गंभीर व खतरनाक मामला जिसका भण्डाफोड़ हो जाने से यहाँ देश में भी खलबली व सनसनी फैली हुई है। दूसरे ट्विट में कहती हैं, इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।