द फॉलोअप टीम, रांची:
एचईसी झारखंड का गौरव है। यह देश में स्थापित उद्योगों का मदर प्लांट है। वर्ष 2004 में जब यूपीए सरकार में मंत्री था, तो विशेष पैकेज देकर फिर से जिंदा करने का प्रयास मैंने किया था। अब मोदी सरकार को इसे बेचने नहीं दिया जाएगा। इसे बचाने के लिए मैं अपनी आखिरी क्षमता तक प्रयास करता रहूंगा। यह बातें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने आज कही हैं। कांग्रेस भवन में मीडिया से उन्होंने बताया कि एचईसी में लगभग पांच हजार मजूदर स्थायी एवं अस्थायी रूप में कार्यरत हैं। डेढ़ लाख की आबादी की टाउनशीप है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक राजेश कच्छप, प्रवक्ता डाॅ. राजेश गुप्ता छोटू, राकेश सिन्हा, राणा संग्राम सिंह, पूर्व महानगर अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे।
पांच माह से कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
एचईसी में अफसरों का पांच महीनों का वेतन तथा मजदूरों को चार महीनों का वेतन नहीं मिला है। वर्तमान समय में एचईसी के पास लगभग दो हजार करोड रूपैया कार्यादेश है। लेकिन क्रियाशील पूंजी नहीं होने के कारण काम नहीं हो रहा है। एचईसी में विगत 19 महीनों से वैल के चेयरमैन को एचईसी के चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है वे 19 महीने में सिर्फ चार बार ही कार्यालय में आये हैं।
उद्योग मंत्री से फोन पर की बात
सहाय ने कहा कि आज भारी उद्योग मंत्री भारत सरकार प्रकाश जावेडकर से फोन पर बात कर एचईसी की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। कहा कि झारखंड और देश की अस्मिता के लिए एचईसी का चालू रहना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि एचईसी को र्विर्कंग कैपिटल के लिए अगर भारत सरकार के द्वारा लैटर ऑफ कंफर्ट बैंकों दिया जाता है तो एचईसी का जो वर्क आॅडर है दो हजार रूपया का उसे पूरा कर सकती है।
मंत्री से अविलंब निर्णय का आश्वासन
एचईसी की जमीन को बेचकर नहीं बाकी लीज देकर भी पैसे की उगाही किया जा सकता है। सहाय ने कहा कि भारी उद्योग मंत्री ने यह आश्वस्त किया कि एचईसी के सवाल पर मंत्रालय में अविलंब बैठक बुलाएंगे तथा आपके द्वारा उठाये बिन्दुओं पर अविलंब कोई निर्णय लेंगे। उन्होंने कैबिनेट मंत्री अर्जुन मुंडा से भी आग्रह कि कहा है प्रतिनिधित्व करने के नाते झारखंड की अस्मिता की भी रक्षा हेतु एचईसी को बचाने के लिए अपना पक्ष रखें। सहाय ने राज्य सरकार से भी आग्रह किया है कि इस पर संज्ञान लेते हुए एचईसी को पुनर्जीवित करें।