logo

कहानी श्रद्धा की, जानिए! महाराष्ट्र की एक लड़की कैसे बनीं सफल डेयरी फॉर्मिंग व्यवसायी

11591news.jpg

द फॉलोअप टीम, रांची: 

बेटियां। यदि उनको सही वक्त पर सही मौका मिले तो वे कोई भी काम कर सकती हैं। स्पोर्ट्स हो, राजनीति हो, सेना या हो बिजनेस। बेटियों ने सभी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा औऱ कामयाबी का लोहा मनवाया है। एक ओऱ जहां टोक्यो ओलंपिक्स में भारत की बेटियों ने हिंदुस्तान का नाम रोशन किया है वहीं महाराष्ट्र की एक बेटी सफल दुग्ध व्यवसायी बनकर आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ रही हैं। इस स्टोरी में जानेंगे 21 वर्षीय श्रद्धा धवन की कहानी।

 

 

महाराष्ट्र के इस परिवार का हिस्सा हैं श्रद्धा
महाराष्ट्र की 21 वर्षीय युवती श्रद्धा धवन दुग्ध व्यवसाय के जरिए आत्मनिर्भर बनकर सफलता की नई इबारत गढ़ रही हैं। 21 वर्षीय श्रद्धा धवन की कहानी प्रेरणा देने वाली है। छोटी से उम्र में डेयरी फॉर्म का काम ना केवल संभाला बल्कि उसे सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले गईं। आज स्थिति ये है कि श्रद्धा महीने का 6 लाख रुपया कमा रही हैं। श्रद्धा महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला से 60 किमी दूर निघोज नाम के गांव की रहने वाली हैं। यहीं श्रद्धा अपने पूरे परिवार के साथ रहती हैं। 


ऐसे डेयरी फॉर्मिंग में आईं श्रद्धा धवन
सवाल ये है कि इस कहानी की अथवा इस सफर की शुरुआत कैसे हुई। कैसे श्रद्धा ने तय किया कि उनको व्यवसायी बनना है। एक दिन श्रद्धा के पिता जी की तबीयत अचानक खराब हो गई, जिसकी वज़ह से उनका डेयरी बिजनेस बंद होने के कगार पर आ गया। एक समय ऐसा आया कि उनके पास 1  ही भैंस रह गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी थी। ऐसे में श्रद्धा ने अपने बीमार पिता की मदद करने का फ़ैसला लिया और डेयरी फार्मिंग के काम में लग गईं।

11 की उम्र में ही खरीद ली थीं 5 भैसें
श्रद्धा ने दिन रात मेहनत करके कुछ ही दिनों में 4 से 5 भैंसे खरीद कर एक बार फिर डेयरी फार्मिंग के बिजनेस में वापसी की। श्रद्धा ने महज़ 11 साल की उम्र में ही डेयरी फार्मिंग से जुड़ी छोटी-छोटी बारिकियों को सीख लिया था, वहीं उन्हें ज़्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्लों की जानकारी हो गई थी। ऐसे में 4 से 5 भैंसों के साथ डेयरी फार्मिंग बिजनेस शुरू करने वाली श्रद्धा धवन जल्द ही 80 से ज़्यादा भैंसों का फार्म संभालने लगी, जिसकी बदौलत आज श्रद्धा हर महीने 6 लाख रुपए से भी ज़्यादा की कमाई कर रही हैं।


श्रद्धा खुद करती हैं दुध की होम डिलीवरी
2013 तक में श्रद्धा के पास 12 भैंसे हो गई थीं।  ग्राहकों की संख्या और उत्पादन बढ़ने लगा।  ऐसे में डिलीवरी को लेकर दिक्कतें आने लगी।  श्रद्धा ने खुद ही दूध की होम डिलीवरी करने का निर्णय लिया और इसके लिए बाइक भी खरीद लिया। धीरे धीरे श्रद्धा बाइक चलाने की भी मास्टर हो गई। आज श्रद्धा इलाके में एक सफल दुग्ध व्यवसायी के रूप में जानी जाती हैं। 

व्यवसाय के साथ पढ़ाई भी करती हैं श्रद्धा
श्रद्धा ने साल 2015 में अच्छे अंकों के साथ 10वीं पास की थी, जबकि उस दौरान श्रद्धा के कंधों पर पूरे डेयरी फार्म की जिम्मेदारी थी। श्रद्धा अभी  फिजिक्स में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी कर रही हैं, जबकि उनका छोटा भाई डेयरी फार्मिंग का कोर्स कर रहा है। आगे चलकर श्रद्धा का छोटा भाई भी डेयरी फार्मिंग में ही अपना करियर बनाना चाहता है, ताकि बिजनेस में अपनी बहन की मदद कर सके।

गांव की लड़कियों का ताना सुनना पड़ा
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि श्रद्धा के लिए डेयरी फार्म का काम करना बहुत आसान था, क्योंकि उन्हें अपने  दोस्तों के तानों का सामना भी करना पड़ता था। गांव की लड़कियाँ श्रद्धा के काम को लेकर उन पर तरह-तरह के कमेंट करती थीं, लेकिन श्रद्धा ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी और श्रद्धा का भाई उस समय बहुत छोटा था, इसलिए श्रद्धा ने डेयरी फार्म को सफल बिजनेस बनाने के लिए दिन रात मेहनत की। 

रोजाना साढ़े चार सौ लीटर दुध का उत्पादन
श्रद्धा धवन आज सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रही हैं। अपने मेहनत के दम पर 80 से ज़्यादा भैंसों डेयरी फार्म खड़ा कर दिया और उसे बखूबी आज भी संभाल रही है  जिसकी वज़ह से काम बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे श्रद्धा ने दूसरी नस्ल की भैंसें भी खरीदी और यह आंकड़ा 80 के पार पहुँच गया, जिसके बाद श्रद्धा ने कुछ दूसरी डेयरी वालों के साथ भी टाइअप कर लिया। इसका फायदा ये हुआ कि श्रद्धा को घर-घर दूध बांटने के बजाय डेयरी वालों को दूध सप्लाई करना होता है। इस टाइअप से मुनाफा तो होता ही है, साथ में समय और मेहनत की भी बचत होती है।