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रामगढ़ DC और कोडरमा DDC सहित चारों भाई-बहन हैं IAS-IPS, दो कमरे के मकान में रहकर पाया यह मुकाम!

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सन्नी शारद, द फॉलोअप

आज के दौर में आईएएस बनना हर किसी का सपना होता है। हमारे या आपके परिवार, रिश्तेदार में कोई एक आईएएस या आईपीएस बन जाये तो हम सभी गौरवान्वित महसूस करते हैं। जरा सोचिये वो माता - पिता कितने खुशनसीब होंगे जिनके सभी 4 बच्चे यूपीएससी की परीक्षा पास करलिया हो। आज द फॉलोअप में हम आपको रामगढ़ की वर्तमान डीसी माधवी मिश्रा और कोडरमा के वर्तमान डीडीसी लोकेश मिश्रा सहित उनके दो अन्य भाई बहन की कहानी बताएंगे जो आईएएस और आईपीएस हैं। साथ ही उस पिता के संघर्ष को भी बताएंगे जिन्होंने सिर्फ दो कमरे के मकान में रखकर बच्चों की परवरिश की और इस मुकाम तक पहुंचाया। 


 

रामगढ़ डीसी के परिवार की है कहानी

झारखंड में बहुत कम लोग जानते हैं कि अभी हाल ही में रामगढ़ जिला में पदस्थापित उपायुक्त माधवी मिश्रा चार भाई - बहन हैं और चारों आईएएस - आईपीएस हैं। 2015 बैच की माधवी मिश्रा के एक भाई लोकेश मिश्रा जो 2016 बैच के आईएएस अधिकारी हैं वह भी झारखण्ड में ही पदस्थापित हैं। फ़िलहाल वो कोडरमा में डीडीसी के पद पर पदस्थापित हैं। इन दोनों के अलावे दो और भाई बहन हैं एक हैं क्षमा जो आईपीएस अधिकारी हैं और एक हैं योगेश जो आईएएस अधिकारी हैं।


उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला है परिवार

उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले अनिल मिश्रा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के मैनेजर पद से रिटायर ऑफिसर हैं। प्रतापगढ़ में ही अपनी पत्नी और 4 बच्चों के साथ दो कमरे के मकान में वह रहते थे। वह चाहते थे कि उनके बच्चे उनका नाम रौशन करें। बच्चों को पढ़ाने में अनिल मिश्रा ने कोई कमी नहीं की। सभी सरकारी स्कूल से ही पढ़े लेकिन उनकी परवरिश ने उन्हें यहां तक पहुंचा दिया। अनिल मिश्रा के दो बेटे और दो बेटी हैं। दो बेटा और एक बेटी आईएएस हैं साथ ही एक बेटी आईपीएस हैं। पूरे प्रतापगढ़ में मिश्रा परिवार फेमस है। कई बार नेशनल और स्थानीय मीडिया में चारों भाई - बहन की सफलता की कहानी आने के बाद हर कोई इस परिवार पर गर्व करता है। 


सिर्फ बड़ी बहन क्षमा हैं आईपीएस उसके बाद तीनों हैं आईएएस

चाह भाई बहन में सबसे बड़ी क्षमा मिश्रा हैं जो आईपीएस अधिकारी हैं और फ़िलहाल कर्नाटका में एसपी के पद पर पदस्थापित हैं। उसके बाद योगेश मिश्रा का नंबर है जो आईएएस अधिकारी हैं और फ़िलहाल उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में ही पदस्थापित हैं। उसके बाद माधवी मिश्रा का नंबर है जो फ़िलहाल झारखंड के रामगढ़ में पदस्थापित हैं। सबसे छोटे हैं लोकेश मिश्रा जो फ़िलहाल कोडरमा जिला में डीडीसी के पद पर पदस्थापित हैं।


2014 से परिवार में शुरू हुई खुशियों की बारिश

साल 2014 से अनिल मिश्रा के परिवार में खुशियों की बारिश शुरू हुई। इस वर्ष योगेश मिश्रा जो नोएडा में कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उन्होंने यूपीएससी सीएसई को पास कर लिया। उनकी 62वीं रैंक आई थी। योगेश ने बताया, हम सभी अपने पैतृक गांव लालगंज में रहकर ही 12वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद वो मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीटेक करने इलाहाबाद चले गए। वहीं सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब मिल गई और नोएडा चला गया। नौकरी करने के साथ - साथ वे यूपीएससी की तैयारी भी करने लगे और 2014 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। उसके बाद 2015 में एक साथ दो - दो खुशियां एक साथ आई। इस साल सबसे बड़ी बहन क्षमा मिश्रा यूपीएससी पास की और आईपीएस बनीं साथ ही माधवी मिश्रा भी यूपीएससी पास की और आईएएस बनीं।  क्षमा ने गांव में रह कर एमए तक की पढ़ाई की।

 

उसके बाद 2006 में उनकी शादी पड़ोसी गांव के सुधीर से हो गई, जो उत्तराखंड में जिला आपूर्ति अधिकारी हैं। उन्होंने पत्नी को आगे की पढ़ाई जारी रखी। क्षमा का भी आईपीएस में सिलेक्शन हो गया। अनिल मिश्रा दूसरी बेटी माधवी लालगंज से ही ग्रैजुएशन करने के बाद इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रैजुएशन करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चली गईं। वहां पढ़ाई पूरी होने के बाद वह जेएनयू से रिसर्च करने के लिए दिल्ली में रहने लगीं। वर्ष 2016 में उनका भी आईएएस में सि‍लेक्शन हो गया। अब रह गए सबसे छोटे बेटे लोकेश मिश्रा। उन्होंने ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिकल में इंजीनयरिंग करने के बाद राजस्थान के कोटा में एक फर्टिलाइजर कंपनी में नौकरी कर ली। वह भी 2015 में पीसीएस क्वालीफाई कर बीडीओ बन गए। उन्होंने बाद में सिविल सेवा की परीक्षा दी और वर्ष 2016 में ही वह भी आईएएस बन गए।

मेहमान आते थे तो पढ़ाई हो जाती थी बाधित 

चारो भाई –बहन आपस में एक दो साल ही छोटे बड़े हैं। माधवी बताती हैं कि उनके बड़े भाई हमेशा से हम भाई-बहनों को एक साथ ले कर चलने वालों में से हैं। हम दो कमरों के मकान में रहते थे, जब कोई मेहमान आ जाता था तो सबसे ज्यादा हमारी पढ़ाई ही डिस्टर्ब होती थी लेकिन भैया उसे भी मैनेज करते थे। उन्होंने हमेशा हम सभी भाई, बहनों को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।


रक्षाबंधन में निराश बहन को देखकर भाई योगेश ने शुरू की थी तैयारी 
एक इंटरव्यू में योगेश मिश्रा ने बताया कि एक बार रक्षाबंधन में वह अपनी बहन के पास राखी बंधवाने गए तो देखा दोनों बहन निराश होकर बैठी हैं। कारण था एक दिन पहले ही यूपीएससी का परिणाम आना जिसमें दोनों बहन का नहीं हुआ था। तभी योगेश ने ठाना कि पहले वह खुद यूपीएससी परीक्षा पास करेंगे उसके बाद बहन को भी मोटिवेट करके यूपीएससी पास करवाएंगे और हुआ भी वही. 2014 में पहले योगेश ने परीक्षा पास किया उसके बाद 2015 में दोनों बहन क्षमा और माधवी ने परीक्षा पास की।