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22 साल बाद घर लौटा बेटा, मां ने 22 दिन में तय की शादी, जानिए ! घर लौटने से शादी तक की दिलचस्प दास्तान

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द फॉलोअप टीम
चतरा-दुख और विपत्ति में मां और माटी की याद अक्सर आती है। लोग खुद को मां और माटी की गोद में ही सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। चतरा स्थित गिद्धौर प्रखंड के सलीमपुर गांव की कहानी भी मां और माटी से जुड़ी हुई है। यहां का आफताब अब से 22 साल पहले माता-पिता से रूठ कर घर से भाग गया था। 22 सालों तक वो मां और माटी से दूर रहा लेकिन एक लॉकडाउन में जब सारे लोग अपने घर लौट रहे थे, आफताब का भी मन बदला और वो अपने घर लौट आया। 22 साल बाद घर का लाडला अपनों के बीच लौटा था लिहाजा घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खास तौर पर मां-बाप को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि 22 साल बाद उनका बेटा अब उनके पास है। अब खुशी के आलम में मां-बाप ने आफताब की शादी तय कर दी है। 10 अगस्त को चरही निवासी जैना परवीन से आफताब अंसारी का निकाह होगा। द फॉलोअप की टीम से बात करते हुए आफताब के परिवारवालों ने अपनी खुशी का इजहार किया।
12 साल की उम्र में भाग गया था आफताब
22 साल पहले जब आफताब बारह वर्ष की आयु का था तो , गांव के किसी बच्चे से उसका झगड़ा हो गया। इसकी जानकारी उसके अब्बा शराफत अंसारी को हुई, तो उन्होंने आफताब को खूब डांटा। पिता की डांट से आफताब का मन व्यथित हो गया और वो घर से भाग गया। घरवालों ने उसकी खूब खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। इस बीच आफताब दिल्ली पहुंच गया। कुछ दिनों तक तो वह इधर-उधर भटकता रहा। फिर एक सर्कस कंपनी ने उसे काम दे दिया। वही उसका ठिकाना बन गया। करीब दो वर्ष के बाद सर्कस कंपनी वालों ने उसको केरल भेज दिया। केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम में वो कई सालों तक रहा। समय का पहिया घूमता गया। इस बीच वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हुई। सर्कस का काम ठप हो गया। सर्कस में काम करने वाले उसके सारे साथी एक-एक कर अपने-अपने घर रवाना होने लगे। कहते हैं कि अपने साथियों को लौटता देखकर आफताब को भी अपनी मां और माटी की याद आने लगी। 
दिलचस्प है घर लौटने की कहानी
आफताब ने दोस्तों से अपने दिल की बात बताई। आफताब ने कहा कि 22 वर्षों में बहुत कुछ भूल गया था। बस अपने गांव और इटखोरी प्रखंड का नाम याद था। अपने मित्रों के साथ नजदीकी थाना गया और वहां पूरी दास्तान सुनाई। केरल पुलिस ने इटखोरी के थानेदार से बात की। इटखोरी थाना प्रभारी ने गिद्धौर थाने को इसकी जानकारी दी। फिर गिद्धौर थाने ने मुखिया कविता देवी से संपर्क साधा। मुखिया अपने पति और पूर्व मुखिया महेंद्र राम के साथ मिलकर छानबीन में जुट गई। आखिरकार उन्हें आफताब के घर का पता चल गया। बाद में आफताब को घर बुलाया गया। आफताब 24 जून को चतरा आ गया। उसे 14 दिनों तक क्वारंटाइन किया गया। फिर तीन जुलाई को मुखिया दंपती उसे सलीमपुर गांव लेकर पहुंचे। शराफत अंसारी और जमीला खातून के घर में आफताब के आने की सूचना जैसे ही मिली। घर में जश्न का दौर शुरू हो गया। पिछले 22 वर्षों में उनके यहां ऐसी खुशी देखने को नहीं मिली थी। शराफत अंसारी कहते हैं कि बुढ़ापे का सहारा मिल गया। बेटे की खोज में खूब भटका। मन्नतें भी खूब मांगी। बातचीत के क्रम में वह भावुक हो जाते हैं। खुशी के आंसू उनकी आंखों से निकल आते हैं। मां कहती है कि अब उनका लाडला आफताब गांव में ही रहेगा। 
वापस केरल जाना चाहता है आफताब
19 सालों तक टेंट और तंबू में अपना जीवन बिताने के बाद भी आफताब केरल वापस जाना चाहता है। केरल और वहां के लोगों की तारीफ करते हुए कहता है कि वहां मेरी पहचान है। काम है और उस काम में मेरा मन लगता है। उसने कहा कि शादी के बाद वो फिर से केरल जाएगा। हालांकि उसने ये जरुर कहा कि अब वो हमेशा घर पर आता रहेगा। यही नहीं फोन पर भी घरवालों से बातें होती रहेंगी। आफताब से ये पूछे जाने पर कि क्या वो मनरेगा के तहत काम नहीं करना चाहता। आफताब ने बताया कि काम तो ठीक है लेकिन इसमें मेहनत ज्यादा और पैसा कम है। मुझे केरल में हर दिन 600 रूपये के हिसाब से भुगतान होता है और मैंने काम भी सीख लिया है। आफताब के अनुसार राज्य में रोजगार कम है। शादी के बाद तो अब परिवार की जिम्मेदारी होगी लिहाजा केरल में ही काम करना उसके लिए सही रहेगा।
घर पर ही रखना चाहती है मां
22 सालों तक मां सदमे में रही। दूर-दूर जाकर कई मौलाना से बात की। मन्नतें मांगी, आने जाने में इतने पैसे खर्च हुए कि जमीन तक बेचनी पड़ी। बेटे के बारे में सोच – सोचकर बीमार हुई मां को हर माह 2 से 3 हजार रूपये की दवा भी खानी पड़ती है। आज परिवार के पास कच्चा मकान के अलावा 5 कट्ठा जमीन है। पांच भाईयो और 2 बहनों में आफताब सबसे बड़ा है। दो भाई और दोनों बहनो की शादी हो चुकी है। इसलिए मां ने आफताब की शादी तय करने में जरा भी देर नहीं की। आफताब की मां अब भी अपने लाडले के चतरा छोड़ने की बात से सिहर उठती है। कहती हैं कि अल्लाह जब बेटा वापस भेजा है तो रोजगार भी देगा।