द फॉलोअप टीम, रांची:
द फॉलोअप ने
22 फरवरी 2021 को रांची में RTE कानून लागू होने के 10 साल बाद भी बड़े स्कूलों में बच्चों की 74 % सीटें खाली खबर चलाई थी। जिसमें लिखा गया था शिक्षा का अधिकार अधिनियम कानून 2009 के मुताबिक बड़े प्राइवेट स्कू्लों को आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का बिना किसी शुल्क के दाखिला लेना है। स्कूल में कम से कम 25 प्रतिशत नामांकन ऐसे बच्चों का लेने का कानूनी प्रावधान है। रांची जिला में 10 साल से में RTE कानून लागू है। लेकिन अबतक 74 % सीटें खाली रह जाती हैं। यह हम नहीं कह रहे, आर.टी.आई. आवेदन के बाद झारखंड सरकार का जवाब है। स्कूल प्रबंधन की अनदेखी के कारण ऐसा होता है। जबकि इन्हें सस्ते दरों पर जमीन और अन्य सुविधाएं सरकार इसलिए देती है, ताकि समाज में बेहतर शिक्षा का समान वितरण हो। अब एक माह बाद राज्य सरकार ने अभिवंचित वर्ग के बच्चों के शुल्क के लिए ₹6,00,00,000 (छः करोड़ रुपए) को मंजूरी दी है।
425 रुपये प्रति माह शुल्क का होगा भुगतान
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में ज्ञानोदय योजना (प्राथमिक शिक्षा) अंतर्गत बच्चों के शुल्क के लिए ₹6,00,00,000 (छः करोड़ रुपये) के भुगतान को मंजूरी दे दी है। गैर सहायता प्राप्त निजी विद्यालय में आरक्षित सीटों पर नामांकित कमजोर और अभिवंचित वर्ग के बच्चों को 425 रुपये प्रति माह शुल्क देने का निर्णय लिया गया है।
11764 छात्र-छात्राओं को मिलेगा लाभ
मुख्यमंत्री द्वारा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के उपरोक्त प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 के तहत निजी विद्यालयों में प्रवेश कक्षा के 25 प्रतिशत सीटों पर नामांकित एवं अध्ययनरत कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के 11764 छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा।