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पंचायत चुनाव तय करेगा झारखंड में किसकी होगी अगली सरकार ! सभी पार्टियों ने झोंकी ताकत

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द फॉलोअप टीम, रांची:
यूं तो कोई भी चुनाव लोकतंत्र में काफी महत्व रखता है, लेकिन हर चुनाव का परिणाम लोगों की सोच को परिभाषित करता है। झारखंड में दो बार के एक्सटेंशन के बाद आखिकार सरकार ने पंचायत का चुनाव कराने का फैसला ले लिया है। हालांकि ये चुनाव गैर दलीय आधार पर होगा, लेकिन हर दल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सीएम हेमंत सोरेन से लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बकायदा इसके लिए अपने पार्टी के पदाधिकारियों को टास्क भी दे दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने 22 अक्टूबर को पार्टी के सभी जिला अध्यक्ष और जिला सचिवों के साथ बैठक कर कोविड 19 के दौरान जिला समिति द्वारा किये गए जनहित के कार्यों की चर्चा की। बैठक के दौरान पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक संगठन की मजबूती और विस्तार पर भी बात। कहा कि भले ही आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव पार्टी आधारित नहीं होगा और अभी से आप लोग लग जाएं कि ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधि पार्टी से जुड़े व्यक्ति जीतें। इसी तरह नगर निकाय स्तर पर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा को मजबूत बनाएं, पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत, केंद्र की नाकामियों को मुद्दा बनाएं।

 

झामुमो के साथ भाजपा ने भी कसी कमर

उधर बीजेपी ने भी झारखंड में पंचायत चुनाव की आहट के साथ ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कुछ दिन पूर्व रांची पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने भाजपा विधायक दल, जिला अध्यक्षों, प्रदेश पदाधिकारियों और मोर्चा अध्यक्षों के साथ-साथ कोर कमेटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संग मैराथन बैठक की। दोपहर से शुरू हुई बैठक का सिलसिला देर रात तक चला। बीएल संतोष का पूरा जोर पंचायत चुनाव और बूथ स्तर तक संगठन की मजबूती पर रहा। उन्होंने विधायकों और पदाधिकारियों को इस बाबत टास्क सौंपे। स्पष्ट कहा कि बूथ कमेटी का गठन कागजों पर न हो। आंकड़े बढ़ाने के लिए फेक बूथ कमेटी का गठन न किया जाए। हर बूथ पर भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता नजर आएं। ऐसे कार्यकर्ताओं को जोड़ें, जो भाजपा की नीतियों से प्रभावित हों।

 

दिसंबर माह में होगा पंचायत चुनाव
गौरतलब है कि राज्य सरकार 29 दिसंबर को सरकार गठन के दो साल पूरे होने से पहले राज्य में पंचायत चुनाव का आयोजन कराना चाहती है। पंचायती राज विभाग के सूत्रों के अनुसार राज्य में 11 दिसंबर से 20 दिसंबर तक चार चरणों में चुनाव कराने पर लगभग सहमति बन चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में दिसंबर माह में होनेवाले पंचायत चुनाव को लेकर उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किए जानेवाले चुनाव खर्च के ब्योरा को लेकर आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत प्रत्येक उम्मीदवारों को चुनाव परिणाम की घोषणा के 30 दिनों के भीतर यह ब्योरा अनिवार्य रूप से देना होगा। इसे लेकर निर्वाची पदाधिकारियों द्वारा उम्मीदवारों को दिए जानेवाले पत्र के प्रारुप को भी जारी कर दिया गया है। इसके साथ हीं राजनीतिक दल या संस्था या व्यक्तियों का समूह या कोई अन्य व्यक्ति ने किया है तो उस खर्च को भी उसके हित में किया गया खर्च माना जाएगा तथा उक्त खर्च का लेखा भी दाखिल करना होगा। यदि कोई उम्मीदवार एक ही साथ एक से अधिक पदों या निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहा है तो उसे उक्त पदों या निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अलग-अलग खर्च का ब्योरा दाखिल करना होगा।

चार चरणों में हो सकता है पंचायत चुनाव
राज्य में पहले चरण का चुनाव 11 दिसंबर, दूसरे चरण का चुनाव 12 दिसंबर, तीसरे चरण का चुनाव 15 दिसंबर तथा चौथे चरण का चुनाव 20 दिसंबर को कराया जा सकता है। इसके अलावा 26 दिसंबर को मतों की गणना की जा सकती है, बता दें कि पंचायत चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से होगा। जिसे लेकर 50 हजार बैलेट बाक्स उत्तर प्रदेश से राज्य के विभिन्न जिलों में मंगाए जा रहे हैं। अभी राज्य में लगभग 52 हजार बैलेट बाक्स पहले से उपलब्ध हैं। 


 

दल के दलदल से नहीं बाहर निकलेंगे प्रत्याशी
भले ही आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव पार्टी आधारित नहीं होगी, लेकिन कोई भी प्रत्याशी दल के दल दल से बाहर भी नहीं जाता दिख रहा है। पार्टियां भी इस बात को लेकर जडोर दे रही है कि अगर उनका कार्यकर्ता जीतता है तो आगे आने वाले चुनाव में इसका लाभ पार्टी को हो सकता है। ऐसे भी अगर राज्य में किसी दल को बढ़त चाहिए तो उन्हे गांव के लोगों को अपने पक्ष में करना होगा। लिहाजा पार्टियां अभी से हीं गांव की सरकार पर अपना आदमी देखना चाहती हैं इस लिए हर दल अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में झोक देना चाहता है। मंहगाई, डीजल और पैट्रोल जहां राज्य में सत्तासीन दलों का हथियार है वहीं पीछले दो सालों में विकास का कार्य ना हो पाना विपक्षी बीजेपी और आजसू का वोट मांगने का जरिया बन रहा है, लेकिन गांव की जनता को किसका साथ मिलेगा इस पर ना सिर्फ वर्तमान बल्कि पार्टियों का भविष्य भी टिका है। 

कही जीरो तो कहीं मात्र चार फीसदी राशि ही खर्च कर पाईं हैं पंचायत समितियां
राज्य की ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों में विकास की राशि तो फिर भी नौ से 25 फीसदी खर्च हुई है पर सबसे खराब स्थिति पंचायत समिति,ब्लॉक एरिया के विकास की रही। वित्त आयोग से राज्य के 263 पंचायत समिति को 253 करोड़ में से सिर्फ 10 करोड़ के आसपास ही राशि खर्च हो पायी। यानी अनुदान का चार फीसदी ही राशि खर्च हो सकी. गुमला,कोडरमा और गोड्डा जिला में तो अनुदान का जीरो राशि खर्च हुआ। वहीं, पलामू, हजारीबाग और पश्चिम सिंहभूम में सिर्फ एक फीसदी ही राशि खर्च हो सकी। खर्च करने में रांची जिले की भी स्थिति अच्छी नहीं है,जिले के अधिकांश प्रखंडों में न के बराबर राशि खर्च हुई। दिलचस्प बात यह है कि ये राशि वित्त विर्ष 2020-21 की ही जो अभी तक पूरी खर्च नहीं हो पायी है।


50 हजार से भी अधिक मतदान केन्द्रों पर होगी वोटिंग
राज्य में कुल 4,345 ग्राम पंचायतों में चुनाव होगा। चुनाव में 4,345 मुखिया चुने जाएंगे। पंचायत समिति के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या 5,341 है। ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या 53,479 है। जिला परिषद के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या 536 है। 53,480 मतदान केंद्रों पर होगा चुनाव।