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पंचतत्व में विलीन हुए पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा, राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

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द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर
संथाली भाषा को विदेश तक पहुंचाने वाले पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। राजकीय सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का पार्वती घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से प्रो. हांसदा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उनके अंतिम संस्कार में झारखंड सरकार के मंत्री चंपई सोरेन, विधायक रामदास सोरेन, समीर महंती, संजीव सरदार, जिला उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह समेत राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के सैकड़ों गणमान्य लोग शामिल हुए। बताते चलें कि गुरुवार को प्रो हांसदा का जमशेदपुर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया था। उनके निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गयी थी। 

प्रो. दिगंबर हांसदा का अहम योगदान
साहित्य अकादमी के सदस्य रहे प्रो. हांसदा का जनजातीय भाषाओं के उत्थान में अहम योगदान रहा। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। वे केंद्र सरकार के जनजातीय अनुसंधान संस्थान व साहित्य अकादमी के सदस्य रहे। कई पाठ्य पुस्तकों का देवनागरी से संथाली में अनुवाद किया। इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संथाली भाषा का कोर्स तैयार किया। प्रो. हांसदा ने भारतीय संविधान का संथाली भाषा की ओलचिकि लिपि में अनुवाद किया। वह कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य भी रहे, उन्होंने सिलेबस की किताबों का देवनागरी से संथाली में अनुवाद किया। इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन उन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संथाली भाषा का कोर्स संग्रहित किया।