द फॉलोअप टीम, गढ़वा:
गढ़वा जिला के कांडी प्रखंड में किसानों द्वारा उपजाया गया धान पड़ा-पड़ा खराब हो गया। जिले में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है। रखे गए धान में से अंकुर फूटने लगा है। ये फसल किसानों ने बिक्री के लिए रखी थी लेकिन काफी वक्त बीत जाने के बाद भी उनकी खरीद नहीं की जा सकी। फसल खराब हो जाने की वजह से किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।
पांच महीने तक पड़ी रही फसल खराब हो गई
किसानों का कहना है कि बीते साल दिसंबर तक उन्होंने अपनी फसल की कटाई कर ली थी। फसल की कटाई के बाद वे इसकी खरीद के लिए मैसेज आने का इंतजार करते रहे। मैसेज काफी देरी से आया। मैसेज आने के बाद किसान फसल को बेचने के लिए संबंधित कार्यालय पहुंचे। वहां उनकी फसल को खुले आसमान के नीचे रखवा दिया गया। महीनों बीत गए लेकिन धान की खरीद नहीं हुआ। खरीद तो नहीं हुई, फसल की सुरक्षा का भी ध्यान नही रखा गया। परिणाम ये हुआ कि साल की पहली बारिश में ही सारी फसल खराब हो गई। उसमें अंकुर फूट आय़ा।
किसानों ने खरीद नहीं होने पर दिया था धरना
गढ़वा जिला में हरिहरपुर ओपी क्षेत्र सहित कई अन्य गावों के किसानों ने प्रखंड परिसर में 9 मई को 1 दिवसीय धरना दिया। स्थानीय युवा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शशांक शेखर द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर किसानों की व्यथा बताई थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले का संज्ञान लेते हुए गढ़वा के उपायुक्त को मामले की जांच का निर्देश दिया। अफसोस की बात है कि मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खुले आसमान में पड़ी रही मेहनत से उगाई फसल
किसानों के खून-पसीने से तैयार की गई फसल यूहीं खुले आसमान में पड़ी रही। तकरीबन पांच महीने बीत गए। इस बीच जिले में बारिश हुई। फसल से अंकुर निकल आया। किसानों की फसल नहीं खरीदी गई। किसानों को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही है, अब वे ये नहीं समझ पा रहे कि इस साल की खेती कैसे होगी। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि झारखंड में जल्द ही मानसून का प्रवेश होगा। अगले कुछ दिनों में यास चक्रवात की वजह से भी बारिश होगी। किसान भारी संकट में हैं।