द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
सोमवार को राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन को लेकर मंगलवार को विपक्षी दल के नेताओं की बैठक हुई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़ग ने अपने कार्यालय में बैठक की अध्यक्षता की। गौरतलब है कि मानसून सत्र के दौरान संसदीय परंपरा के विरुद्ध आचरण के आरोप में 12 सदस्यों को निलंबित किया गया जिसमें 6 कांग्रेस के, 2 टीएमसी के, 2 शिवसेना के, 1 सीपीआई और 1 सीपीएम के सांसद शामिल हैं। विपक्ष कार्रवाई का विरोध कर रहा है।
भविष्य की रणनीति के लिए विपक्ष की बैठक
मल्लिकार्जुन खड़ने ने कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए आज विपक्षी दलों की बैठक हो रही है। क्या सांसद माफी मांगेंगे। इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि माफी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। सांसदों को सदन के नियमों के खिलाफ निलंबित किया गया है। 12 सांसदों के निलंबन का फैसला राज्यसभा में विपक्ष की आवाज का गला घोंटने जैसा है।
निलंबित सांसदों को पक्ष रखने का मौका नहीं मिला
इसस पहले कांग्रेस की राज्यसभा सांसद छाया वर्मा और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जिला अदालत से लेकर उच्चतम न्यायालय तक में फांसी की सजा पाए व्यक्ति को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। वकील मुहैया करवाए जाते हैं लेकिन यहां तानाशाही रवैया अपनाते हुए हमें निलंबित किया गया। हमें हमारा पक्ष भी रखने नहीं दिया गया। देश में केवल एक व्यक्ति की बात चलती है। पीएम जो बोलते हैं वही होता है।
अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसला बताया
सीपीआई सांसद एलाराम करीम ने कहा कि निलंबन का फैसला एकतरफा, पक्षपातपूर्ण, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि उस वक्त दूसरी पार्टियों के सांसदों ने भी हंगामा किया था। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई के लिए केवल हम 12 सांसदों को चुना गया। सरकार संसद में भी विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।