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झारखंड सरकार जल्‍द लाएगी मेडिकल प्रोटेक्शन बिल, बन्ना गुप्ता ने दी सहमति

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द फॉलोअप टीम, रांची:
राज्य में एक लम्बे समय से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग चल रही है। डॉक्टरों की यह मांग है कि डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए एक कड़ा कानून बने। कोई अगर डॉक्टरों को या फिर अस्पताल के संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है तो क्षति की राशि उससे वसूली जाए। मारपीट के मामले में आरोपी को बेल भी नहीं मिलना चाहिए। इसे आईपीसी और सीआरपीसी से जोड़ा जाए। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट राज्य में लागू हो इसको लेकर अपमी सहमति दे दी है। उन्होंने अधिकारियों को इस संदर्भ में ड्राफ्ट तैयार कर अगामी विधानसभा सत्र में लाने को कहा है। इसके लिए चार राज्यों में लागू मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट का अध्यन करने को कहा गया है। जिन राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है, वहां अधिकतम 3 साल की सजा के साथ 50 हजार का जुर्माना और संस्थान का नुकसान पहुंचाने वाले को दोगुना जुर्माना भी लगाया गया है।


 

कई बार हुआ प्रयास लेकिन अबतक लटका है मामला
झारखंड में डॉक्टरों के लिए अलग से एक सुरक्षा कानून की मांग पिछले 15 वर्षों से की जा रही है। 2006 में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया था लेकिन इस बीच राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया और यह कानून भी ठंडे बस्ते में चला गया था। रघुवर दास की सरकार के दौरान भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट किसी खामी की वजह से पास नहीं हो सका था।

 

 

सीएम हेमंत सोरेन से है उम्मीद
झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन और आईएमए झारखंड इकाई चरणबद्ध तरीके से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लंबे समय से कर रही है। कई बार डॉक्टर हिंसा का शिकार भी होते रहे हैं, लेकिन, अब तक यह एक्ट लागू नहीं हो सका है। डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब नेता विपक्ष थे, उस समय उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार आई तो डॉक्टरों की सुरक्षा वाला एक कानून राज्य में लागू करेंगे। अब वह खुद मुख्यमंत्री हैं तब आईएमए को उम्मीद है कि झारखंड मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो जाएगा।

 

 

विधानसभा पटल तक पहले भी पहुंचा था एक्ट 
रघुवर दास की सरकार में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की प्रति विधानसभा पटल तक पहुंच गई थी। उसमें कुछ खामियां बताकर फिर विधानसभा की विशेष समिति को सौंप दिया गया था। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए एक कठोर कानून लाने की कोशिश सरकार की ओर से की गई थी। लगभग सभी दलों ने इसका सदन में पुरजोर विरोध किया था। विधायकों का कहना था कि इस कानून से डॉक्टरों की सुरक्षा तो हो जाएगी लेकिन आम जनता की हितों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए ताकि लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई हो सके। विधायकों के इसी विरोध के चलते सरकार ने प्रस्तावित बिल को विशेष समिति में भेज दिया था।