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रूस की सैर इन वन क्‍लिक-3: आक्रमणकारियों से खतरा के कारण मास्को शिफ्ट हुई राजधानी

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सुभाष चन्द्र कुशवाहा, लखनऊ:

मास्को, रूस की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। बोल्शेविक क्रांति के पहले सेंट पीटर्सबर्ग राजधानी थी। वहां बाहरी आक्रमणकारियों से खतरा होने के कारण, राजधानी को मास्को शिफ्ट किया गया। यहां पूर्वी और पशिमी रूस की जनसंख्या में बहुत अंतर है और ज्यादातर जनसंख्या रूसी मूल की है। आज यहां बादल हैं। बारिश की सम्भावना है। बाहर का तापमान 9 डिग्री सेल्सियस है। कल इसमें और गिरावट आने का अनुमान है। आज से मेरा गाइड बदल रहा है। देखता हूँ, यह नया गाइड कितना काम का साबित होता है।

 

Moscow's 2021 population is now estimated at 12,593,252. Moscow's the 6th largest city in the world and the most populous city in Russia. Moscow is run by one mayor, but the city is actually divided into 12 administrative okrugs and 123 districts, each with its own coat of arms and flags and individual heads of each area. The largest administrative okrugs include:
Southern Okrug: 1.59 million
Eastern Okrug: 1.39 million
North-Eastern Okrug: 1.24 million
Northern Okrug: 1.11 million
South-Eastern Okrug: 1.12 million

 

 

Moscow Demographics
According to the 2010 Census, the ethnic composition of Moscow was:

Russian: 91.6%
Ukranian: 1.42%
Tatar: 1.38%
Armenian: 0.98%
Azeri: 0.5%
Jews: 0.49%
Belarusian: 0.4%
Uzbek: 0.3%
Tajik: 0.2%
Moldovan: 0.2%
Mordvin: 0.2%
Chechen: 0.1%
Chuvash: 0.1%
Ossetians: 0.1%
Other: 1.6%


होटल की खिड़की से मास्को शहर का दृश्य

मास्को में मेट्रो की शुरुआत 1936 में हो चुकी थी। शहर में लगभग 300 मेट्रो स्टेशन हैं और सभी की डिजाइन भिन्न-भिन्न है। सोवियत संघ में शामिल यूक्रेन और बेलारूस सहित तमाम देशों की संस्कृति और 1917 की क्रांति में उनके योगदान को स्टेशनों पर उकेरा गया है।

सभी  मेट्रो स्टेशन अपने आप में रूसी नायकों, वहां के बलिदान, संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और प्रगति को दिखाते हैं। यूक्रेन और बेलारूस सहित अन्य देशों के नाम पर मेट्रो स्टेशन हैं। इन्हें आप पहचाने की कोशिश करें। रूसी जनता में भी अंधविश्वास कम नहीं है।

एक स्टेशन पर मूर्तियों के कुछ हिस्से को बार-बार छूने से पीली चमक देखी जा सकती है। यह बेहतरी के लिए लोगों के छूने से बनी हुई है।
लेनिन की क्रांति, उनके चित्र, उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक आंदोलन को चित्रों, मूर्तियों आदि में देखा जा सकता है। आज मास्को का तापमान 4 डिग्री लुढुक गया था इसलिए घूमने में बहुत परेशानी हुई। कल का तापमान और कम हो सकता है।

ख्रुश्चेव कभी भी स्टालिन को पसन्द नहीं करते थे। उनकी व्यक्तिगत दुश्मनी थी। स्टालिन को ज्यादातर आम आदमी स्ट्रांग आदमी मानता है। मॉस्को मेट्रो स्टेशनों से कैसे स्टॅलिन के चित्र हटाये गए हैं, आप इन चित्रों से समझ सकते हैं।

ब्लैक एंड व्हाइट चित्र में स्टालिन हैं जबकि बाद में उनके चित्र हटा कर रंगीन चित्र कर दिए गए हैं।

मॉस्को के केंद्रीय भाग का नज़ारा ही अलग रहता हैं। क्रेमलिन वहीं है। द्वितीय विश्वयुद्ध में मारे गए जवानों की याद में क्रेमलिन में  ज्योति जलती रहती है। वहां दोनों ओर दो जवान बिना हिलेडुले खड़े रहते हैं। उनकी जगह जब दूसरे जवान ड्यूटी पर आते हैं , उस प्रक्रिया को देखना अलग अनुभव रहा।रेड स्क्वायर, मास्को। यहां के म्यूजियम में लेनिन की वैक्स की सोयी हुई मूर्ति है जो हल्के अंधेरे में शांतिपूर्वक  देखी जा सकती है। ऐसा लगता है, लेनिन उठ खड़े होंगे। फोटो खींचने की इजाजत नहीं है।

 

क्रेमलिन में 15वीं सदी के कैथड्रल की चित्रकारी। इन चर्चों के दक्षिणी-पूर्वी कोने को सबसे पवित्र और उत्तरी-पश्चिमी को कम पवित्र मानने का अंधविश्वास है।

यह बात वहां दफ़नाए गए लोगों, चित्रों आदि से समझ जा सकता है।

मास्को, मार्क्स की मूर्ति, मशहूर रंगशाला और नारंगी रंग में KGB (Committee for State Security) मुख्यालय।

रूसी सैन्य मुख्याल के बाहर रखे वे तोप जो बाहरी आक्रमणकारियों द्वारा छोड़े गए थे।

इनमें नेपोलियन बोनापार्ट का भी तोप है। हर तरफ ख़ुफ़िया नजर पर्यटकों का पीछा करती है।

 

इस भवन में लेनिन सहित तमाम राष्ट्रपति रहते आये हैं। वर्तमान राष्ट्रपति इसमें नहीं रहते। वह केवल खास मीटिंग में यहां आते हैं।

 

इस बिल्डिंग में लगे पत्थर को देखें। इसे हिटलर ने मंगवाया था और यहां अपनी मूर्ति लगवाना चाहता था। सारी तैयारियां धरी रह गईं। रूसियों ने उसे भगाया और बाद में उन्हीं पत्थरों से यहां निर्माण कार्य कर दिया।

 

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(यूपी सरकार की उच्च सेवा से रिटायर्ड अफसर सुभाष चंद्र कुशवाहा लेखक ,इतिहासकार और संस्कृतिकर्मी हैं। आशा, कैद में है जिन्दगी, गांव हुए बेगाने अब (काव्य संग्रह), हाकिम सराय का आखिरी आदमी, बूचड़खाना, होशियारी खटक रही है, लाला हरपाल के जूते और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) और चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन (इतिहास) समेत कई पुस्तकें प्रकाशित। कई पत्रिकाओं और पुस्तकों का संपादन। संप्रति लखनऊ में रहकर स्वतंत्र लेखन। अभी वह रूस की यात्रा पर हैं।)

 

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।