कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लगा था, तो उससे पहले कम लोगों को ही पता था कि लॉकडाउन क्या होता है। ग्रामीण और सुदूर इलाके के लोगों को तो आजतक पता नहीं है कि ये लॉकडाउन होता क्या है। लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि बिहार में एक ऐसा समाज भी रहता है जो सदियों से लॉकडाउन का पालन करता आ रहा है। कौन है वो समाज ? क्यों करता आ रहा है सदियों से लॉकडाउन का पालन ? क्या है इसके पीछे की वजह? द फॉलोअप आज आपको सबकुछ बताएगा।
द फॉलोअप टीम, पटना
देश-दुनिया के लिए लॉकडाउन का अनुभव भले ही नया हो, लेकिन बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के थारू समाज के लिए यह सदियों पुराना है। प्रकृति की पूजा करनेवाला यह समाज सदियों से लॉकडाउन की परंपरा को अपनाए हुए है। पेड़-पौधों की सुरक्षा के लिए थारू समाज के लोग हर साल सावन माह के अंतिम सप्ताह में 60 घंटे का लॉकडाउन करते हैं। स्थानीय भाषा में इसे 'बरना' कहा जाता है। क्यों कि वनवासयों की दिनचर्या और जीवकोपार्जन प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर रहता है। इसलिए बरना के दौरान लॉकडाउन की घोषण कर घर से कोई बाहर नहीं निकलता। इस समय एक तिनका तक तोड़ने की मनाही होती है।
थारु आदिवासी करता है 60 घंटे का लॉकडाउन
बिहार के पश्चिमी चंपारण का थारु आदिवासी समाज सदियों से लॉकडाउन का पालन करते आ रहे हैं। लॉकडाउन 60 घंटे का होता है। इस दौरान न कोई इनके गांव में आता है न ही गांव का कोई शख्स अपने घरों से बाहर निकलता है। दरअसल यहां पर 'बरना' नाम से एक त्योहार मनाया जाता है जो प्रकृति के प्रेम को दर्शाता है। प्रकृति की रक्षा के लिए हर साल थारू आदिवासी के लोग बरना त्योहार मनाते हैं। थारू समाज के लोगों की परंपरा का ये त्योहार हिस्सा है। थारु समाज के लोगों का मानना है अगर बरना त्योहार के दौरान वह घर से बाहर निकले या कोई बाहर से आया तो उनके आने-जाने से और होने वाली रोजमर्रा की गतिविधियों से, नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है, जिससे प्रकृति की हानि हो सकती है।
पीएम मोदी ने किया बरना त्योहार का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में बिहार के पश्चिमी चंपारण के थारु आदिवासी समाज का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में नागरिकों को अपने दायित्वों का एहसास है। यही वजह है कि हर तरह के उत्सव में लोग संयम बरत रहे हैं। इस दौरान पर्व और पर्यावरण के बीच के गहरे नाते की चर्चा भी प्रधानमंत्री मोदी ने की। उन्होंने प्रकृति की रक्षा के लिए बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज की ओर से मनाए जाने वाले बरना त्योहार का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि थारू आदिवासी समाज के लोग बरना त्योहार के मौके पर हर साल 60 घंटे का लॉकडाउन करते हैं। इससे उस समाज का प्रकृति प्रेम झलकता है। देश को बताते हुए पीएम मोदी ने इस समाज की तारीफ भी की। बरना की शुरूआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परंपरा के गीत, संगीत, नृत्य जमकर के होते हैं।