logo

अर्जेंटीना के खिलाफ इन लड़कियों पर होगा जीत का दारोमदार, मिलिए! महिला हॉकी की नायिकाओं से

11479news.jpg

द फॉलोअप टीम, डेस्क: 


भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बना ली। ये इतिहास रचने जैसा है क्योंकि ओलंपिक खेलों के इतिहास में भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई। हॉकी एक टीम गेम है। स्ट्राइकर से लेकर मिडफील्डर और डिफेंडर से लेकर सेंटर हाफ तक जितने भी खिलाड़ी होते हैं, जीत में उन सबका योगदान होता है। भारतीय महिला हॉकी टीम को सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के खिलाफ खेलना है। इस स्टोरी में बात करेंगे टीम इंडिया की उन खिलाड़ियों के बारे में जिन पर जीत का सबसे ज्यादा दारोमदार होगा। चलिए शुरुआत करते हैं। 

वंदना कटारिया पर होगा दारोमदार
वंदना कटारिया ओलंपिक में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी हैं। उन्होंने ये कारनाम आखिरी लीग मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन गोल दागे। ये वही मैच था जिसने तय किया कि भारत की टीम ओलंपिक में बनी रहेगी या बाहर हो जाएगी। 29 साल की वंदना कटारिया भारतीय हॉकी टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक है। ओलंपिक में जाने से पहले वंदना अब तक 240 मैचों में कुल 64 गोल दाग चुकी हैं। 

आपको बता दें कि वंदना कटारिया का जन्म हरिद्वार के पास रोशनाबाद गांव में हुआ था। कहा जाता है कि जब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया तो आस-पड़ोस के लोगों से भारी विरोध का सामना करना पड़ा। ताने सुनने पड़े। इन आपत्तियों के बीच वंदना अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ती रहीं। कहा जाता है कि उनके इस सफऱ में उनके पिता नाहर सिंह हमेशा खड़े रहे। कहा जाता है कि वंदना छिप-छिप कर हॉकी की प्रैक्टिस किया करती हैं। आज हिंदुस्तान की पताका फहरा रही हैं। 

गुरजीत के गोल ने सेमीफाइनल में पहुंचाया
गुरजीत कौर वही खिलाड़ी हैं जिनकी गोल की बदौलत भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंची। भारत औऱ ऑस्ट्रेलिया के बीच क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जो एकमात्र गोल किया गया था वो गुरजीत कौर ने ही किया था। ये गुरजीत तौर का पहला ओलंपिक है। गुरजीत कौर को ना केवल हिंदुस्तान बल्कि पूरी दुनिया में ही सबसे बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर माना जाता है। पंजाब के पाकिस्तान सीमा से सटे एक छोटे से गांव में जन्मी गुरजीत के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था। उनके पिता की इच्छा थी कि गुरजीत कुछ अच्छा काम करें। पिता ने उनका दाखिला अच्छे स्कूल में कराया जहां वे उन्हें खुद छोड़ने जाया करते थे। उनके पिता सुबह से शाम तक स्कूल के बाहर ही खड़े रहा करते थे। वहीं स्कूल में बाकी लड़कियों को हॉकी खेलते देख हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली। गुरजीत कौर अब तक 87 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में कुल 69 गोल कर चुकी हैं। 

टीम इंडिया की नई दीवार बनीं सविता
सविता टीम इंडिया की गोलकीपर हैं। भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में सविता का बहुत बड़ा योगदान है। सविता ने बेहतरीन बचाव कर विपक्षी टीमों को गोल करने का मौका नहीं दिया। क्वार्टर फाइनल में जब गुरजीत कौर ने गोल किया तो ऑस्ट्रेलिया ने कई जवाबी हमले किया। इस बीच दीवार बनकर खड़ी रहीं सविता। ना फील्ड अटैक औऱ ना ही पेनाल्टी कॉर्नर। विपक्षी टीम के खिलाड़ी सविता के पैड और दस्तानों को नहीं भेद पाईं। उन्होंने किसी भी एंगल से गोल नहीं होने दिया। सविता भारतीय टीम की तरफ से 200 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकी हैं। कहा जाता है कि सविता की हॉकी में कोई रूचि नहीं थी। उनके दादाजी ने उनको प्रेरित किया। मध्यमवर्गीय परिवार का होने के बाद भी महंगा किट खरीद कर दिया।

नेहा गोयल साबित होंगी तुरूप का इक्का
नेहा गोयल टीम इंडिया की अहम खिलाड़ी हैं। जब भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हराया तो मैच में वंदना कटारिया की हैट्रिक के अलावा नेहा गोयल के गोल का भी अहम योगदान था। नेहा गोयल हरियाणा की रहने वाली हैं। उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा। परिवार काफी गरीब था। पिता को शराब की लत थी जबकि मां फैक्ट्रियों में काम करके परिवार का भरण पोषण करती थीं। नेहा भी अपनी बहनों के साथ फैक्ट्रियों में काम किया करती थीं ताकि परिवार का भरण पोषण किया जा सके। जब हॉकी खेलना शुरू किया तो ढंग के जूते तक नहीं थे। नेहा की प्रतिभा उनकी राह आसान बनाती चली गई। कोच प्रीतम ने नेहा का काफी सपोर्ट किया। नेहा गोयल 2014 में सीनियर टीम का हिस्सा बनीं। 

नवनीत का ये गोल हमेशा रहेगा खास
टीम अपने शुरुआती तीन मुकाबले हार चुकी थी। ऐसे में करो या मरो वाले मैच में नवनीत ने टीम में जान फूंकी। आयरलैंड के खिलाफ नवनीत ने गोल करक भारत को जीत दिलाई। ये गोल ही भारत के सेमीफाइनल में पहुंचने की नींव रखी। 25 साल की नवनीत हरियाणा की रहने वाली हैं। नवनीत के घर के पास ही शाहबाद हॉकी एकेडमी थी। वहीं से उनकी हॉकी में दिलचस्पी जगी। साल 2005 में नवनीत ने हॉकी खेलना शुरू किया। 2013 में नवनीत राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनीं। नवनीत अब तक 24 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकी हैं। आय़रलैंड के खिलाफ किया गया उनका गोल सबसे खास है।