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साहेबगंज में बाढ़: हे गंगा मईया तोहे पियरी चढईबो, लौटा द पुरान दिनवा

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द फॉलोअप टीम, साहेबगंज:
झारखंड के साहेबगंज जिले में गंगा नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, लोगों के घर, खेत, खलिहान सब डूब गये हैं। पक्के मकान वाले छतों पर सहारा लिये हुए हैं, तो मड़ई और कच्चे मकान वाले दूसरे जगह शरण लिये हुए हैं। दियारा से भारी संख्या में लोगअपने मवेशी के साथ ऊंचे स्‍थान पर पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं। 

हजारों लोगों का जीना हुआ मुहाल
गंगा नदी के किनारे बसे गांव खाली हो गये हैं, तो शहर के भी निचले इलाके में पानी भरा हुआ है। राहत की बात ये है कि कुछ दिनों की बारिश से थोड़ी राहत मिली है। अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का जायजा लिया है और लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश हो रही है।

खतरा देखते हुए आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल, जल संसाधन विभाग के सचिव प्रशांत कुमार और कृषि विभाग के निदेशक  सुभाष सिंह ने संयुक्त रूप से साहेबगंज में गंगा नदी में बाढ़ से उत्पन्न संकट की स्थिति की समीक्षा की।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसल, मवेशी को हुए नुकसान और बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की स्थिति के जानने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल एवं पेयजलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार हेलीकाप्टर से साहेबगंज की स्थिति का जायजा लिया।

 

 

हवाई सर्वेक्षण के बाद समाहरणालय में आपदा प्रबंधन की तैयारी की समीक्षा उपायुक्त एवं जिले के वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की।

 

मवेशी और इंसानों का राशन पहुंचाना बड़ा काम
कई सालों के बाद साहेबगंज में इस तरह की बाढ़ का पानी तबाही मचाये हुए है। शहरी क्षेत्र में भारतीय कालोनी, हवीवपुर, चानावार्ड, बिजली हाट कॉलोनी में लोगों को जिना मुहाल है। बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए प्रशान ने शकुंतला घाट रेलवे परिसर में अस्थाई पशु शिविर तो रशुलपुर दहला में विद्यालय में बाढ़ राहत शिविर बना दिया है।

 

प्रशासन अब बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, आंशिक रूप से प्रभावित क्षेत्र और संबंधित इलाकों में प्रभावित हुए लोग, मवेशी, बाढ़ की चपेट में आने से खराब हुए फसल, डूबे घरों आदि से संबंधित डाटा जुटाने में लगा है। लेकिन इन सब के बाबजूद गांव में नाव की कमी हो रही है, राशन वितरण का तेजी से चल रहा है।


 

कभी आसामान तो कभी गंगा मां से गुहार
रसूलपुर दहला के सरकारी स्कूल में शरण लिये लोगों अब इश्वर से प्रथाना कर रहे हैं कि गांगा मां अब उन्हे बख्श दें। 70 साल की बुढ़ी मां भोजपुरी में गांगा मां की आरती कर रही है ताकि ये गुहार सुन कर गंगा उन्हें माफ करे। तुसली का पींड के सामने बैठ कर वे गाती है हे गंगा मैया तोहे पियरी चढईबो, लौटा द पुरान दिनवा।

 

कहीं से दूध गायब, तो कहीं 10 रुपये लीटर मिल रहा दूध
बाढ़ के कारण जिले में दूध की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। हालांकि, इसके दाम नहीं बढ़े हैं, मगर मवेशी मालिक दूध को गंतव्य तक पहुंचा ही नहीं पा रहे हैं। दूध की किल्लत होने से मिठाई और दही भी बाजार से गायब है। पशुपालकों का कहना कि पर्याप्त चारा नहीं मिलने से मवेशियों ने दूध देना भी कम कर दिया है। यह दीगर है कि प्रशासन चारे की व्यवस्था कर रहा है, लेकिन आपूर्ति सामान्य नहीं हो सकी है। इसलिए दूध उत्पादन में भी कमी आई है।

वहीं दियारा से अपेन मवेशी के साथ उच्चे स्थानों पर डेरा डाले लोग दूध बेच नहीं पा रहें इस लिए जो कोई उनतक पहुंच रहा है उन्हे 10 रुपये लीटर तक दूध आसानी से मिल जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक बाढ़ की वजह से जिले के करीब 35 हजार पशु प्रभावित हुए हैं। इनमें आधे से अधिक गाय व भैंस हैं।