द फॉलोअप टीम, रांची:
राज्य के वित्तमंत्री और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने झारखंड में आर्थिक लॉकडाउन की जगह सोशल लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक की जगह सोशल लॉकडाउन के जरिए कैसे भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है, इसपर विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में डॉ. रामेश्वर उरांव ने ये सुझाव दिया।
व्यवसायी संगठनों की लॉकडाउन की मांग
वित्त मंत्री ने कहा कि कई संगठनों की तरफ से लॉकडाउन की मांग की जा रही है। डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि आर्थिक लॉकडाउन लगाने की बजाय सोशल लॉकडाउन के जरिए भीड़ को नियंत्रित करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई पर्व त्योहार हैं। चैती छठ, नवरात्रि, रमजान और रामनवमी मनाई जा रही है। पर्व मनाने पर मनाही नहीं है लेकिन, इस दौरान लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय पर चर्चा की जानी चाहिए।
आर्थिक की जगह लगे सोशल लॉकडाउन
रामेश्वर उरांव ने मीटिंग में कहा कि उनकी बात चेंबर के प्रतिनिधियों से हुई है। बकौल वित्त मंत्री, उन्होंने प्रतिनिधियों से जानने की कोशिश की कि कोरोना चैन को तोड़ने के लिए किस तरह की पाबंदियां लगाई जाए कि व्यवसाय को नुकसान ना हो और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। रामेश्वर उरांव के मुताबिक व्यवसायियों ने सुझाव दिया कि तीन दिन कपड़े की दुकानें खोली जाएं, तीन दिन हार्डवेयर की। इसी तरीके से अलग-अलग दिनों में अलग-अलग दुकानों को समय निर्धारित किया जाना चाहिए।
रामगढ़-लोहरदगा में हो इलाज की व्यवस्था
रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना जांच की रिपोर्ट आने में विलंब होने से भी लोग पैनिक कर रहे हैं। कई लोगों को मामूली सर्दी-खांसी भी कोरोना ही लग रही है। रांची में मरीजों का दवाब बढ़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि रामगढ़ और लोहरदगा जैसे आसपास के जिलों में भी मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण की उम्र सीमा की बाध्यता खत्म की जानी चाहिए। जरूरत है कि 45 वर्ष से कम आयु के लोगों का भी टीकाकरण किया जाए।
दूसरे राज्यों से आए लोगों को मिले रोजगार
उन्होंने लोगों से मास्क पहनने की अपील करते हुए कहा कि क्वारंटीन सेंटरों की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि दूसरे शहरों से लौटने वाले लोगों को वहां रखा जा सके। इसके जरिए भी संक्रमण को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरे शहर से लौटने वाले लोगों के रोजगार की व्यवस्था भी करनी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की समस्या से निपटने के लिए एमबीबीएस फाईनल ईयर के विद्यार्थियों की सेवा ली जा सकती है। माइक्रो कंटेनमेंट जोन का भी सुझाव वित्तमंत्री ने दिया।