द फॉलोअप टीम, रांची:
डेल्टा वैरिएंट की बढ़ती ख़बर के बीच एक बहुत अच्छी खबर आई है। भारत सरकार ने अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जानसन की सिंगल डोज वैक्सिन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। कंपनी ने शुक्रवार को ही इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन किया था और उस दिन ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी मंजूरी दे दी। अब इसके भारतीय बाजार में जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गईं है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी। देश में अभी पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड, हैदराबाद के भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, रूस की स्पूतनिक-V और अमेरिका की मॉडर्ना की वैक्सीन उपलब्ध है। अब इसमें जॉन्सन एंड जानसन भी जुड़ गए है।मंडाविया ने कहा कि इस अप्रूवल के बाद कोरोना संक्रमण के खिलाफ चल रही जंग को मजबूती मिलेगी। सरकार इस समय वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस अप्रूवल के इमरजेंसी अप्रूवल की अनुमति हासिल करने वाली वैक्सीन की संख्या 5 हो गई है।
देना होगा सिर्फ एक डोज
जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोनावायरस से जीन लेकर ह्यूमन सेल तक पहुंचाने के लिए एडीनोवायरस का इस्तेमाल किया है। इसके बाद सेल कोरोनावायरस प्रोटीन्स बनाता है, न कि कोरोनावायरस। यही प्रोटीन बाद में वायरस से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करते हैं। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनियों की वैक्सीन को फ्रीज में रखने की जरूरत है, जिसके कारण इनका वितरण और मुश्किल हो जाएगा। खासतौर से उन जगहों पर जहां अच्छी मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं।एडीनोवायरस का काम वैक्सीन को ठंडा रखना होता है, लेकिन इसे फ्रीज करने की जरूरत नहीं होती है। जबकि, इस समय वैक्सीन के दो बड़े उम्मीदवार मॉडर्ना और फाइजर mRNA जैनेटिक मटीरियल पर निर्भर हैं।
क्या कहते हैं ट्रायल्स के नतीजे
वैक्सीन ने अपने पहले फेज के ट्रायल अमेरिका, जापान, नीदरलैंड और बेल्जियम में किए थे। इसके बाद हर फेज में ट्रायल के दायरे को और बढ़ाया गया। तीसरे फेज में कंपनी ने 17 देशों में वैक्सीन के ट्रायल किए थे। 40 हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन की ओवरऑल एफिकेसी 66% पाई गई थी। साथ ही हॉस्पिटलाइजेशन से रोकने में भी वैक्सीन 85% कारगर है। J&J वैक्सीन लेने के 4 हफ्ते बाद कोरोना से संक्रमित लोगों में किसी को भी हॉस्पिटलाइज नहीं किया गया था।
(इंटर्न तरुण की बनाई खबर)