द फॉलोअप टीम, रांची:
स्कूली बच्चों की सहजता और उनका खिलंदड़ापन आज प्रेमचंद की कहानी ईदगाह के मंचन के दौरान दिखा। इसके साथ बच्चों ने सर सैयद अहमद खान का तालीमी पैग़ाम दिया। मंचन को जीवंत करने में शादमान अहमद (हामिद) , उम्मुल खैर फातिमा (दादी), अब्दुल समद (जलेबी वाला), सोहैल (मामू ), अफ्फान (अनवर), ज़ैद (चिमटा वाला), तौसीफ (खिलौने वाला), हसन (बाबा), दिलशाद (रशीद) और अकमल हुसैन (समी) की अदा सार्थक बनी। सभी बच्चे सैयद अहमद शिक्षण केंद्र और मिल्लत एकेडमी के थे। बात मिल्ली सेंट्रल हॉल, मंटू चौक हिंदपीढ़ी में आयोजित सर सैयद डे की है। आयोजन सर सैयद अहमद खां शिक्षण केंद्र सरना टोली कडरू ने किया था। सहयोग केंद्र के इफ्तिखार अहमद, झारखंड जूम के मोहम्मद अशरफ हुसैन और वरिष्ठ पत्रकार गौतम चौधरी का रहा। संचालन नाजिया तबस्सुम ने किया। शुरुआत फरहीन नौशिन के नातिया कलाम से हुई। धन्यवाद ज्ञापन मिल्लत एकेडमी की प्राचार्या सबीहा ने किया।
बच्चों ने अलग-अलग अंदाज़ में सर सैयद से रुबरू कराया
मिल्लत अकादमी की छात्रा अतीका शहजाद ने सर सैयद अहमद खान का जीवन परिचय दिया। सैयद अहमद खान शिक्षण केंद्र के छात्र मोहम्मद अर्श और मोहम्मद आदिल ने एक नाटक के माध्यम से सर सैयद की जिंदगी से रुबरू कराया। रांची म्यूजिकल ग्रुप के सदस्य ऐनुल हक ने सर सैयद अहमद खान के जीवन पर आधारित गीत "ऐ अलीगढ़ रूहे सैयद इल्म व फन के गुलिस्तां " प्रस्तुत किया।
प्रबुद्ध वक्ताओं ने दिया शिक्षा पर बल
अंजुमन-ए-इस्लामिया रांची के अध्यक्ष अबरार अहमद ने कहा कि अच्छे कामों का हर युग में विरोध होता रहा है लेकिन हमें इसे दूर करने की जरूरत है।आदिवासी बुध्दिजीवी मंच के प्रेमचंद मुर्मू ने इस तरह के कार्यक्रम को बड़े स्तर करने पर बल दिया। साथ ही बोले, मौजूदा दौर में समाज के ताने बाने में पड़ी दरार को पाटने के लिए नाटक और गीत एक सशक्त माध्यम बन सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुहम्मद ग़ौस इब्न राशिद ने कहा कि आज हमारा समाज शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है।