द फॉलोअप टीम, रांची:
अल्पसंख्यक मामले के जानकार एस अली ने कहा कि झारखंड में तख्तनशीं हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार की उपेक्षा के कारण अल्पसंख्यक समुदाय हाशिये पर हैं। केन्द्र संचालित अल्पसंख्यक विकास की योजनाओं की राशि दो वित्त वर्ष से नहीं मिल सकी। अल्पसंख्यक आयोग को न्यायिक अधिकार, वक्फ बोर्ड, हज समिति एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम को संवैधानिक और ढांचागत सुविधाएं देने के लिए किसी प्रकार की कोई पहल नहीं हो सकी। वर्षों से रिक्त 3712 प्राथमिक उर्दू शिक्षकों के पदों को स्नातक टेट उत्तीर्ण से नहीं भरा जा सका है। प्लस टू स्कूलों में उर्दू शिक्षक के पद सृजित नहीं हो सके और न ही उर्दू एकेडेमी और मदरसों से जुड़े मामलों पर सरकार गम्भीर दिखती है। माॅबलींचिग पर कानून बनाने और पीड़ित परिवारों को मुवाआज देने की भी अबतक पहल नहीं हुई है। अली आज अपर बाजार स्थित मदरसा इस्लामिया में आमया संगठन और झारखंड छात्र संघ की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। जिसका विषय था, राज्य के विभिन्न समस्याओं और मुसलमानों के अधिकार।
चार विश्वविधालय में न कुलपति और न ही प्रतिकुलपति
एस अली ने कहा कि सरकार की सुस्ती के कारण राज्य के चार विश्वविधालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति बहाल नहीं हो सके हैं। झारखंड एकेडेमी काउंसिल भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष विहीन है। सरकार के 23 महीने गुजर जाने के बावजूद राज्य में स्थानीय नीति और नियोजन नीति के लिए मजबूत पहल नहीं की गई है। इधर, एक सदी से पुराने हैदर अली रोड़ का नाम बदल कर बजरंग नगर कर दिया गया, कश्मीर से झारखंड आकर गर्म कपड़े बेचने वाले युवाओं पर लगातार हमले पर सरकार की खंमोशी आंदोलन के लिए बाध्य करती है। इन सभी मांगाें को सरकार 16 दिसम्बर तक पूरा नहीं करती है तो 17 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर आंदोलन की घोषणा की जाएगी। सरकार के विरुद्ध ब्लैक पत्र जारी किया जाएगा। बैठक में इस्मे आज़म, मोहम्मद फुरकान, जियाउद्दीन अंसारी, लतीफ़ आलम, एकराम हुसैन, इमरान अंसारी, नौशाद आलम, एकराम हुसैन, अबरार अहमद, मौलाना रेयाज, अब्दुल गफ्फार, इमरान अंसारी, जावेद अंसारी, अब्दुल बारी, मोदस्सीर अहरार, अकरम अंसारी, तहमीद अंसारी, आसीफ अंसारी ऐनुल हक गुलाम सरवर ने भी विचार रखा।