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पेट्रोल भराने के पैसे नहीं थे तो बना डाली इलेक्ट्रॉनिक साइकिल, एक बार चार्ज होकर चलती है 40 किलोमीटर 

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सन्नी शारद, रांची: 
पेट्रोल डीजल की आसमान छूती महंगाई से हर कोई परेशान है! लेकिन फिर भी मजबूरन उन्हें बाइक या फिर कार राइड करना ही पड़ रहा है! लेकिन रांची के हरमू इलाके के रहने वाले सिरिल बेक पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमत से इतना परेशान हुए कि उन्होंने अपनी पुरानी साइकिल को ही इलेक्ट्रॉनिक साइकिल में बदल दिया। पढ़िए सिरिल बेक की साइकिल की अनोखी कहानी।

 

झोपड़ीनुमा एक छोटे से घर में परिवार के साथ रहते हैं सिरिल
झारखण्ड की राजधानी रांची के हरमू इलाके में रहने वाले करीब 50 वर्षीय सिरिल बेक झोपड़ीनुमा एक छोटे से घर में परिवार के साथ रहते हैं। पेशे से बिजली मिस्त्री सिरिल ने कमाल कर दिया है।वो एक चर्च के परमानेंट बिजली मिस्त्री हैं। चर्च की तरफ से उन्‍हें एक पुरानी बाइक दी गई थी। लेकिन पेट्रोल की बढ़ती कीमत से परेशान सिरिल ने बाइक छोड़कर अपनी साइकिल को ही इलेक्ट्रॉनिक बना दिया। अब वो उसी इलेक्ट्रॉनिक साइकिल से हर दिन घूमते हैं और काम पर जाते हैं।

 

17 हजार खर्च कर साइकिल को बनाया इलेक्ट्रॉनिक 

सिरिल बेक ने द फॉलोअप को बताया कि साइकिल को इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाने का आइडिया उन्हें यूट्यूब वीडियो देखकर मिला। उसके बाद उन्होंने एमेजॉन से मोटर और बैट्री खरीदी। उसके बाद खुद से ही साइकिल को इलेक्ट्रॉनिक साइकिल में बदल दिया। इसको बनाने में उन्हें करीब एक सप्ताह का समय लगा। मिस्त्री का काम करने के बाद जो समय बचता था सिरिल उसी में साइकिल बनाने का काम करते थे।

करीब 2 घंटे में फुल चार्ज हो जाती है साइकिल

सिरिल बेक ने बताया कि उनकी यह साइकिल एक बार फुल चार्ज करने पर 40 किलोमीटर चलती है। करीब 2 घंटे में यह फुल चार्ज हो जाती है। फ़िलहाल सिरिल ने बैट्री खोलकर चार्ज करने का ऑप्शन रखा है। लेकिन उन्होंने कहा कि जल्द ही उसे साइकिल में रखे रहने के बाद भी चार्ज करने का ऑप्शन बनाया जा रहा है।

सरकार करे मदद तो सस्‍ते मूल्‍य पर हर किसी को दे सकते हैं साइकिल 
सिरिल बेक ने बताया कि वह चाहते हैं कि जो सामान उन्हें ऑनलाइन बाहर से खरीदकर मंगाना पड़ रहा है। वह अगर यही मिल जाये तो वह कम कीमत में साइकिल बनाकर किसी को भी उपलब्ध करा सकते हैं। सिरिल ने बताया कि उनका सपना है कि डिजिटल इंडिया के तहत हर झारखंडी के हाथ में यह साइकिल हो। जिससे पैसे की भी बचत हो और प्रदूषण पर भी रोक लग सके।