द फॉलोअप टीम, पटना
बिहार में कोरोना की रफ्तार कम हो गई है। जी हां, आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसा ही लगता है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो पिछले 24 घंटे में 1 लाख से ज्यादा लोगों की जांच की गई है। इसमें 2247 नए संक्रमित सामने आए हैं। यानी 100 मरीजों में 2 से ज्यादा और 3 से कम मरीज मिल रहे हैं। ये रफ्तार पिछले कुछ दिनों की तुलना में बेहद कम है। कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में तेजी से हालात में सुधार हो रहा है। जानकारों की माने तो इसके पीछे की एकमात्र वजह टेस्टिंग क्षमता बढ़ाना है। बिहार में लगातार जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है। रोजाना इसमें बढोतरी हो रही है।
95 हजार से ज्यादा लोग हुए स्वस्थ
पिछले 24 घंटे में मिले 2247 नए संक्रमितों को जोड़ दें तो बिहार में अब कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 1 लाख 22 हजार 156 हो गई है। इनमें से 95 हजार 372 से ज्यादा लोग ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबकि 26 हजार 181 मरीज अलग-अलग अस्पतालों से लेकर होम आइसोलेशन में अपना इलाज करा रहे हैं। हालांकि पिछले 24 घंटे के भीतर प्रदेश में 13 लोगों की मौत भी हुई है। इस तरह से राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़कर 601 हो गई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जितनी भी मौतें हो रही है, उनमें से ज्यादातर लोगों की या तो उम्र ज्यादा है या फिर वो कोरोना के अलावे भी किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। बिहार में फिलहाल रिकवरी रेट 79.54 फीसदी है। इसमें लगातार इजाफा भी हो रहा है, जो कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए राहत की बात है।
टेस्टिंग पर सवाल
हालांकि बिहार में लगातार बढ़ायी जा रही टेस्टिंग पर विपक्ष सवाल भी उठाता रहा है। विपक्ष के मुताबिक ज्यादातर जांच एंटीजन रैपिड किट से हो रही है, जिसकी विश्वसनीयता हमेशा से कठघरे में रही है। कई लोग भी इसे लेकर लगातार शिकायत करते नजर आए हैं। देखा गया है कि एक ही मरीज इसी किट से दो बार जांच करा रहा है, तो दोनों बार रिपोर्ट अलग-अलग आ जाती है। यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार ने भी स्वास्थ्य विभाग को RT-PCR से जांच कराने पर जोर देने को कहा है। नीतीश ने कहा है कि RT-PCR से फिलहाल जितनी जांच हो रही है, उसे बढ़ाए जाने की जरुरत है।