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झारखंड के घाटशिला का तांबा श्रीराम मंदिर में होगा इस्तेमाल, मिलेगी नई पहचान

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द फॉलोअप टीम, घाटशिला:

घाटशिला अपने तांबे के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसलिए इसे ताम्रनगरी भी कहा जाता है। घाटशिला की उपलब्धियों में जल्द ही एक और प्रसिद्धि जुड़ सकती है। ऐसी बातें सामने आ रही है कि अयोध्या के श्रीराम मंदिर के लिए घाटशिला के तांबे का उपयोग किया जा सकता है। 

340 क्विंटर तांबे की मांग की गई है
तांबे के लिए मशहूर हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के प्लांट से राम मंदिर के लिए 340 क्विंटल तांबे की मांग की गई है। अधिकारियों को यहां के तांबे जांच के लिए भेजा गया है। अगर घाटशिला मुसाबनी के तांबे का उपयोग श्रीराम मंदिर का निर्माण में हुआ तो दुनिया भर में घाटशिला को नई पहचान मिल सकेगी। 

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का प्लांट
बता दें कि घाटशिला के मुसाबनी क्षेत्र में मांउ भंडार में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का प्लांट है।  L&T अयोध्या में श्रीराम का निर्माण कार्य करा रही है। इस कंपनी के अधिकारी बीते दिन घाटशिला पहुंचे। उन्होंने हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के मांउभंडार प्लांट का दौरा किया और तांबे के सैंपल की जांच की। अधिकारीयों ने तांबे के सैंपल को आगे की जांच के लिए भेजा है। यदि तांबे का यह सैंपल जांच में पास हो गया तो इसका मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होगा। 

सबसे पुरानी खान है घाटशिला में 
बता दें कि कि देश की सबसे पुरानी तांबे की खान घाटशिला की ही है जिसकी स्थापना 1924 में हुई थी। स्थानीय लोग इस बात से काफी खुश है कि उनके जिले के ताम्बे से भगवान राम के मंदिर का निर्माण होने की संभावना है। लोगों का कहना है कि पूर्वी सिंहभूम के लोगों का सौभाग्य है।