द फॉलोअप टीम, रांची:
सेवा सदन हॉस्पिटल वर्सैस रांची नगर निगम के मामले पर कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधा है। कहा कि रांची नगर निगम में भाजपा के ही मेयर और डिप्टी मेयर पदस्थापित हैं। निगम रांची के इस पुराने हॉस्पिटल को तोड़ने पर तुला हुआ है। निगम ने जिस तरीके से पिछले पांच साल में रांची को बेहतर बनाने के नाम पर शहर को बदसूरत बना दिया है, इसका जवाब निगम के पदाधिकारियों और उच्च पदस्थ जनप्रतिनिधियों को भी जनता को देना होगा। हालांकि रांची नगर निगम की पोल आज झारखण्ड हाईकोर्ट में खुल गयी। सेवा सदन हॉस्पिटल के साथ साथ अन्य भवन दूकान तोड़ने के तुगलकी निर्णय पर हाईकोर्ट ने आज अंतरिम रोक लगा दी है। विद्वान न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा है किसी का भवन तोड़ा जाता है तो उससे पहले सभी तथ्यों को खंगाल लेना जरूरी है, क्योंकि अदालत चाहती है कि नैसर्गिक न्याय का पालन हो। तथ्यों को खंगालने से यही पता चलता है की निगम चाहे तो किसी को बेघर कर दे लेकिन वह किसी की फ़रियाद नहीं सुनेगी।
रांची नगर निगम ने अपील सुनने की कोई व्यवस्था नहीं
रांची नगर निगम ने अपील सुनने की कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है। ऐसे में लोग न्याय से वंचित रह जाते हैं। सेवा सदन की स्थापना उन दिनों हुई थी जब अविभाजित बिहार के झारखण्ड प्रान्त में स्वास्थ्य सेवा न के बराबर थी। सेवा सदन का इतिहास रहा है की वह गरीबों और आम लोगों को बेहतर स्वास्थय सेवा देने के लिए प्रतिवद्ध रही है। रांची नगर निगम अगर एक हॉस्पिटल के विनाश पर तुली हुई है तो यह स्वाभाविक है क्यों निगम के बुद्धिमान पदाधिकारियों को इस बात का अनुभव ही नहीं है की किसी संस्थान को कैसे बनाया जाता है और और इसे बनाने में कितना समय और श्रम लगता है। राँची नगर निगम एक समय में बुलडोजर चढाने पर अड़ी हुई है जब की झारखण्ड समेत पूरे भारत ने कोरोना महामारी का कहर झेला है। कोरोना के दुसरे लहर में लोगों ने अपनों को खोया है। अब जबकी कोरोना के तीसरे लहर की आशंका है और हेमन्त सोरेन सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए दिनरात काम कर रहे हैं ऐसे समय में किसी हॉस्पिटल का चिकित्सा सेवा वाधित करना कई प्रश्नों को जन्म देता है जिसका जबाब रांची का आम जनमानस रांची नगर निगम से चाह रहा है।