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कांग्रेस ने सेना के अधिकारियों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया

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द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार सेना के अधिकारियों से धोखा और उनके हितों पर कुठाराघात कर रही है। केंद्र सरकार सैन्य अफसरों की आधी पेंशन काट कर सेना का मनोबल गिरा रही है। सेना पर मोदी सरकार के ताजे हमले की इस प्रस्तावना ने झूठे राष्ट्रवादियों का सेना विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। 

'सैन्य अफसरों की पेंशन काटनेवाली मोदी सरकार'
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि शहीद सैनिकों की वीरता और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बंटोरने वाली मोदी सरकार देश के इतिहास में पहली सरकार बनने जा रही है, जो सीमा पर रोजाना अपनी जान की बाजी लगाने वाले सैन्य अफसरों की पेंशन काटने और सक्रिय सेवा के बाद उनके दूसरे कैरियर विकल्प पर डाका डालने की तैयारी में है। इस बारे में बाकायदा 29 अक्टूबर के पत्र जरिए  प्रस्ताव मांगा गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री सेना के लिए दीया जलाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ साहसी और बहादुर सैन्य अफसरों के जीवन में उनकी पेंशन काट अंधेरा फैलाने का दुस्साहस कर रहे हैं, ये भाजपा का झूठा राष्ट्रवाद है। उन्होंने कहा कि सेना में भर्ती के समय इंडियन मिलिटरी एकेडमी में हर अधिकारी से 20 साल का अनिवार्य सर्विस बॉन्ड भरवाया जाता है। 20 साल की सेवा के बाद सैन्य अफसर मूल तनख्वाह की 50 प्रतिशत पाने का हकदार है। 

'सैन्य अफसरों का कैरियर तबाह करने की कोशिश'
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने बताया कि सेना में भर्ती हुए 100 अफसरों में से औसतन 65 प्रतिशत सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक ही सीमित रह जाते हैं, केवल 35 प्रतिशत अधिकारी या कर्नल या उससे उससे ऊपर के पदों पर आ पाते हैं। ऐसे में 20 साल सेवाएं देने के बाद वह सैन्य अधिकारी पूरी पेंशन के साथ जिंदगी में एक दूसरा कैरियर विकल्व तलाश कर लेते हैं तथा प्रभावी तरीके से राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार की यह प्रस्तावना लागू हो जाएगी, तो सदा के लिए 65 प्रतिशत सैन्य अफसरों का दूसरा कैरियर विकल्प भी खत्म हो जाएगा। 

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'सेना का मनोबल तोड़ने पर आमादा केंद्र सरकार'
प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि मोदी सरकार की नयी प्रस्तावना के मुताबिक केवल उस सैन्य अफसर को पूरी पेंशन मिलेगी, जिसने 35 साल से अधिक सेना की सेवा में बिताये हो। सैन्य अफसरों की सेवाओं की शर्तां को भी काला दिवस से संशोधित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत की तीनों सेनाओं से पहले से ही 9427 अफसरों की कमी है, जबकि 2019 के आंकड़े बताते हैं कि थल सेना में 7399, नौ सेना में 1545 और वायु सेना में 483 अफसर कम हैं। मोदी सरकार की सेना का मनोबल तोड़ने वाली इस प्रस्ताव से देश के युवाओं का सेना में भर्ती होने के प्रति आकर्षण घटेगा।