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नहाय-खाय के साथ कल से शुरू हो रहा है महापर्व छठ, कद्दू-भात खाने की परंपरा का क्या है महत्व

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द फॉलोअप टीम, रांची : 
कल से छठ महापर्व शुरू होने जा रहा है। कद्दू-भात यानी नहाय खाय के साथ ही इसकी शुरूआत हो जाती है। दूसरे दिन 9 नवंबर को खरना होगा। 10 नवंबर को पहला व 11 नवंबर को दूसरा अर्घ्य होगा। छठ एक ऐसा पर्व है जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को इस पूजा का विशेष विधान है। इस पूजा का विशेष महत्व बिहार,उत्तरप्रदेश और झारखण्ड में है। कहा जाता है कि अंग देश के महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे, इसलिए परंपरा के अनुसार इस इलाके पर सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। 

क्यों होती है सूर्य की विशेष उपासना
कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है ताकि स्वास्थ्य अच्छा रहे। षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है। विज्ञान की माने तो इस माह सूर्य उपासना कर हम अपनी ऊर्जा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं। 

कद्दू भात ही क्यों खाकर होती है शुरुआत
नहाए खाय के साथ ही लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज से हो गई है। पहले दिन छठव्रती स्नान करने के बाद लौकी-भात का खाते हैं। बिहार में लौकी को कद्दू कहने का भी प्रचलन है। विज्ञान की माने तो लौकी खाने के कई फायदे हैं। सब्जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। इसमें 98% पानी और बॉडी के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स जैसे फास्फोरस, विटामिन्स, सोडियम, आयरन और पोटैशियम होता है जो एनीमिया, हार्ट प्रॉब्लम और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार है। इसलिए इस पर्व की शुरूआत कद्दू से की जाती है। 

छठ पूजा में खरना का है खास महत्व
खरना पर दिन में व्रत रखा जाता है और रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रती छठ पूजा के पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं। इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है। खरना के प्रसाद को हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है और इसमें आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। खरना वाले दिन पूरियां और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है।