गोपी कुमार सिंह, लातेहार:
हम कोई नक्सली नहीं बल्कि गांव के ग्रामीण हैं। लेकिन सुरक्षा बलों की तरफ से फायरिंग होती रही और आदिवासी युवक ब्रह्मदेव सिंह की जान चली गई। यह दर्दनाक मंज़र इसी साल 12 जून को लातेहार जिले के गारू थाना क्षेत्र अंतर्गत पिरी गांव के गनइखाड़ के पास का है। इसका पता RTI से चला है। हालांकि पुलिस की ओर से सच छुपाने की कोशिश की जाती रही है। अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद के केंद्रीय महासचिव लालमोहन सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत गारू थाना से 13 जुलाई को जिरामणि देवी के आवेदन पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। द्वितीय अपील के बाद पुलिस ने 11 अक्टूबर को जवाब दिया। उनके जवाब से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस न्यायसंगत कार्रवाई के विपरीत सच्चाई को छुपाने की कोशिश कर रही है।
शिकार की तलाश में घर से जंगल निकले थे युवा
बता दें कि उस 12 जून को गनइखाड़ में ब्रह्मदेव सिंह समेत कई आदिवासी युवा नेम सरहुल के मौके पर भरठुआ हथियार के साथ शिकार की तलाश में घर से जंगल के लिए निकले ही थे कि सुरक्षाबलों ने नक्सली समझकर उन्हें घेर लिया था और ताबड़तोड़ गोलियां बरसने लगी थीं। घटना के चश्मदीदों ने तब द फॉलोअप से बातचीत में भी सारी बातें साझा की थीं। घटना में ब्रह्मदेव सिंह की मौत हो गई थी, जबकि दीनानाथ से घायल हुआ था। पुलिस की तरफ से इस मामले में मृतक ब्रह्मदेव समेत छह युवकों पर गारू थाना में मामला दर्ज किया गया। जिसमें पुलिस ने पीड़ितों को ही आरोपी बना दिया गया। जबकि ब्रह्मदेव सिंह की पत्नी जीरामणि देवी ने पति की हत्या के लिए जिम्मेदार सुरक्षाबलों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए 29 जून को गारू थाना में आवेदन दिया था। गारू थाना प्रभारी ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि जीरामनी देवी के आवेदन को मामले के अनुसंधानकर्ता पुलिस निरीक्षक, बरवाडीह अंचल को जांच- पड़ताल कर आवश्यक कार्यवाही के लिए दिया गया है। हालांकि प्राथमिकी दर्ज करने की थाना की है न कि अनुसंधानकर्ता की।
पुलिस ने मामले को मुठभेड़ ही कहा है
पुलिस दोषी सुरक्षा बलों को बचाने का प्रयास कर रही है। जवाब में फिर से इस मामले को एक मुठभेड़ कहा गया है। मुठभेड़ के बाद खोजबीन के दौरान ब्रम्हदेव का शव जंगल किनारे मिला था। दूसरी ओर आरटीआई जवाब में कहा गया है कि ब्रम्हदेव सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु हो गयी थी। लातेहार पुलिस सच्चाई को छुपाने के लिए अलग अलग कहानियाँ गढ़ रही है। अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद् पुलिस के इस रवैये से आक्रोशित है। एक तरफ वरिय पुलिस पदाधिकारी मौखिक रूप से बयान देते हैं कि सुरक्षा बलों से गलती हुई और पीड़ित परिवारों को मुआवजा व न्याय मिलेगा।दूसरी ओर कागजी कार्रवाई में इस बयान से विरुद्ध काम कर रहे हैं। परिषद् ने हेमंत सोरेन सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है।
अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद की मांग
1. ब्रम्हदेव सिंह की हत्या के लिए जिम्मेवार सुरक्षा बल के जवानों और पदाधिकारियों के विरुद्ध जीरामनी देवी के आवेदन पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जाए एवं दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाई की जाए।
2. पुलिस द्वारा ब्रम्हदेव समेत छ: आदिवासियों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए।
3. गलत बयान व प्राथमिकी दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस और वरीय पदाधिकारियों पर प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।
4. ब्रम्हदेव की पत्नी को कम से कम 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और उनके बेटे की परवारिश, शिक्षा व रोजगार की पूरी जिम्मेवारी ली जाए. साथ ही, बाकी पांचो पीड़ितों को पुलिस द्वारा उत्पीड़न के लिए मुआवजा दिया जाए।