द फॉलोअप टीम, पटना
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर शनिवार को तीसरे चरण का मतदान शाम छह बजे समाप्त हो गया। बिहार में तीसरे चरण के चुनाव में 54.57 फीसदी मतदान हुआ है। 3 नवंबर को दूसरे चरण के चुनाव में 55.70 फीसदी और पहले चरण में 28 अक्टूबर को 55.69 फीसदी मतदान हुआ है। इनके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे, लेकिन एग्जिट पोल्स के रुझान आने शुरू हो गए हैं। तीसरे चरण की वोटिंग संपन्न होने के बाद अब सभी की निगाहें चुनाव नतीजों पर टिकी हुई हैं। नतीजों से पहले बिहार चुनाव में इस बार किसकी सरकार बन सकती है, इसको लेकर अलग-अलग एजेंसियां और न्यूज चैनल एग्जिट पोल लेकर आए हैं।
सर्वे में महागठबंधन को 138 सीटें
बिहार चुनाव को लेकर रिपब्लिक भारत-जन की बात के एक्जिट पोल में महागठबंधन 138 सीटें जीत सकता है। सर्वे में एनडीए को 91 से 117 सीटों का अनुमान जताया गया है। महागठबंधन के खाते में 118 से 138 सीटें जा सकती हैं। लोजपा को 5 से 8 सीट और अन्य को 3 से 6 सीटें जाने का अनुमान है।
आर भारत और जन की बात
आर भारत के सर्वे के अनुसार चिराग ने 25 सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचा सकता है। रिपब्लिक भारत और जन की बात के एक्जिट पोल में ये बड़ी बात सामने आई है। आर भारत और जन की बात के सर्वे में एनडीए को 37-39 फीसदी वोट, महागठबंधन को 40-43 फीसदी वोट, लोजपा को 7-9 फीसदी वोट, अन्य को 9-11 फीसदी वोट, हम को 1.5-2 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।
एबीपी न्यूज-सीवोटर का सर्वे
एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे में एनडीए गठबंधन के खाते में 104 से 128 सीटें जा रही हैं। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 108 से 131 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। एलजेपी को 1-3 सीटें और अन्य को 4-8 सीटों का अनुमान जताया गया है।
टाइम्स नाउ-सीवोटर का सर्वे
टाइम्स नाउ-सीवोटर के सर्वे में सत्ताधारी एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। सर्वे में एनडीए को 116 और महागठबंधन को 120 सीटों का अनुमान जताया गया है। एलजेपी को 1 सीट और अन्य को 6 सीटें जा रही हैं।
टाइम्स नाऊ-सी वोटर का एग्जिट पोल
टाइम्स नाऊ-सी वोटर के पोल के मुताबिक एनडीए को को 116, महागठबंधन को 120, लोजपा को 1 और अन्य को 6 सीटें मिल सकती हैं।
कैसे काम करती है ओपिनियन पोल की टीम?
भारत जैसे बड़े और लोकतांत्रिक देश में समय-समय पर राज्यों में चुनाव होते रहते हैं। जैसा कि अभी कोरोना महामारी के बीच बिहार विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए। चुनाव को लेकर भी प्री पोल सर्वे पर चुनावी विश्लेषक और न्यूज़ चैनल काम कर चुके हैं। इसबार सभी के सर्वे में दिए गए आंकड़ों में काफी अंतर देखने को मिल रहा है। यहां स्पष्ट कर दें कि एग्जिट पोल पूरी तरह से सटीक होंगे ऐसा कतई नहीं है। कई बार एग्जिट पोल सही भी होते हैं तो कई बार गलत भी साबित होते रहे हैं।
पहली बार रोजगार के मुद्दे पर लड़ा गया चुनाव
बिहार में हर बार चुनाव जातिगत आधार पर लड़ा जाता है, लेकिन इस बार चुनाव प्रचार के दौरान रोजगार का मुद्दा हावी रहा। सबसे पहले राजद ने 10 लाख नौकरियों का मुद्दा उठाया। इसके बाद बीजेपी ने 19 लाख नौकरियां देने का वादा किया। जॉब्स के अलावा चुनावी रैलियों में राम मंदिर, धारा 370, आरक्षण, पुलवामा, पाकिस्तान, चीन, सीएए-एनआरसी और घुसपैठ जैसे मुद्दे भी जमकर उठाए गए। एनडीए ने प्रचार के दौरान जंगलराज का डर दिखाया और लालू राज के बहाने राजद पर जमकर निशाना साधा।
2015 के चुनाव में राजद जदयू से आगे रहा
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी को सबसे ज्यादा 80 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू थी, जिसे 71 सीटें हासिल हुई थी। इसके अलावा बीजेपी को 54, कांग्रेस को 27, एलजेपी को 2, आरएलएसपी को 2, हम को 1 और अन्य के हिस्से में 7 सीटें गई थी।
तेजस्वी को कमतर आंकना गलत होगा
बेशक बिहार विधानसभा चुनाव के सारे चुनावी सर्वे में एनडीए गठबंधन को बेहद मजबूत बताया जा रहा है। लेकिन महागठबंधन को भी कमजोर आंकना सही नहीं हो सकता। चुनाव में जरूर शुरू में तेजस्वी यादव को कमतर आंका गया, लेकिन उन्होंने जिस तरह से अपने दम पर प्रचार की कमान संभाली, उससे एनडीए के दिग्गजों के पसीने छूट गये। राजनीतिक पंडितों को भी उनका लोहा मानना पड़ा। यह सही है कि राजनीतिक दल भी अब यह मानने लगे हैं कि किसी भी राज्य में किसी भी राजनीतिक दल के लिए अपने बलबूते सरकार बनाना बेहद मुश्किल है। लिहाजा हर राजनीतिक दल एक मजबूत गठबंधन तैयार करने का प्रयास करता है।
कोरोना पर भारी पड़ा मतदाता का उत्साह
कोरोना महामारी के दौरान बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जहां बिहार विधानसभा के चुनाव हुए हैं। हालांकि पहले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर यह संशय की स्थिति थी कि कोरोना काल में मतदाता घर से निकलेंगे या नहीं। चुनाव आयोग के सामने वोटिंग प्रतिशत और मतदाताओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन तीन चरणों में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के सभी चरण के वोटिंग के मतदाताओं का उत्साह यह बताता है कि बिहार राजनीतिक रूप से जागरूक प्रदेश है। कोरोना काल में मतदान को लेकर बिहार की जनता का यह उत्साह वर्तमान सरकार पर भारी पड़ेगा या विपक्ष पर यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा।