द फॉलोअप टीम, रांची:
विधानसभा में कृषि अनुदान पर चर्चा के दौरान बीजेपी और आजसू विधायक ने कृषि मंत्री पर निशाना साधते हुये कहा था कि किसानों की ऋण माफी की योजना खोखला साबित हुयी है। इस बात का जवाब देते हुये कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मैं स्वीकार करता हूं कि हमने किसानों का 2 लाख रुपये तक का कृषि ऋण माफ करने की बात कही थी लेकिन, हमें पता नहीं था कि कोरोना के रूप में एक बड़ी चुनौती हमारे सामने आ जायेगी।
राज्य के साथ केंद्र सरकार का सौतेला व्यवहार!
कृषि मंत्री ने कहा कि केंद के सौतेले व्यवहार की वजह से किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्जा माफ नहीं हो पाया है। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि किसान हमारे लिये वोट बैंक नहीं हैं। किसान हमारे परिवार हैं। कोरोना जैसी चुनौती के बावजूद हमने किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्जा माफ किया। कृषि मंत्री ने दावा किया कि अब तक 62 हजार किसानों को कृषि ऋण माफी योजना का लाभ दिया जा चुका है।
झारखंड के इतिहास में पहला आउटकम बजट!
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मैं पक्ष-विपक्ष के सुझावों पर काम करूंगा। ये ऐसा दौर है जहां हम सब कई चुनौतियों से गुजर रहे हैं। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि झारखंड के इतिहास में ये पहली बार है जब आउटकम बजट लाया गया। बादल पत्रलेख ने कहा कि पारदर्शिता बरतने के लिए यूपीए सरकार में पी चिदंबरम पहली बार आउटकम बजट लाये थे। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को सिर्फ अनुदान देने की बजाय उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना हमारा मकसद है।
कृषि अनुदान पर चर्चा के बीच कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वो पहले चाय के मालिक थे तो चाय बेचते थे, अब देश के मालिक हैं तो देश बेच रहे हैं।