गोपी कुमार सिंह, लातेहार:
पलामू किला में काल भैरव हाथी की मौत के बाद जिला प्रशासन और वन विभाग के बीच तू-तू में-में चल ही रही थी कि इस बीच एक और मखना हाथी के मौत की खबर आ गयी। गारू वेस्ट रमनदाग कम पार्ट 3 में उसकी मौत हो गयी है। हालांकि मौत के कारण का अभी पता नहीं चला है। वन विभाग का कहना है कि हाथी काफी बूढ़ा हो गया था। सामान्य मौत है। लेकिन सवाल यह है जिस हाथी की मौत हुई है उसका शव गल गया है। इसे DFO मुकेश कुमार ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने वन कर्मियों से स्पाष्टि्करण भी मांगा है कि शव गल जाने तक वन रक्षी को मौत की खबर कैसे नहीं हुई।
मौत के एक पखवाड़ा बाद विभाग को हुई सूचना
बताया गया है कि मखना हाथी की मौत काफी दिन पहले ही हो चुकी थी। इसकी पुष्टि DFO मुकेश कुमार के घटना स्थल के जायजा के बाद उनके बयान में होती है। रमनदाग से ही सटे लादी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि हाथी की मौत तकरीबन 15 दिन पहले ही हो गई थी।
डीसी अबू इमरान के तेवर तल्ख
पंद्रह-बीस दिनों के भीतर दो हाथी की मौत से लातेहार डीसी अबू इमरान के तेवर तल्ख हैं। वन विभाग की परेशानी दोगुनी हो गयी है। मौत के कारण का स्पष्ट खुलासा अभी नहीं हो पाया है। काल भैरव की मौत के बाद डीसी ने उप निदेशक व्याघ्र परियोजना को पत्र भेजकर जवाब मांगा था।
किसे कहते हैं मखना हाथी
जिस हाथी की मौत गारू पश्चिमी के रमनदाग में हुई है। वो मखना हाथी था। बिना दांत के नर या मादा हाथी को मखना कहा जाता है। उधर पलामू टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र निदेशक वाई के दास ने कहा कि बिना दाँत के हाथियों पर शिकारियों की नजर रहती है। हो सकता है कि शिकारियों ने ही हाथी को मारा हो।