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शर्म है हम इंसान हैं! भीख मांगकर गुजारा करने वाली महिला से 1 बोतल खून के लिए वसूला गया 4500 रुपया

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द फॉलोअप टीम, पलामू:


आज मुझे शर्म आ रही है कि मैं इंसान हूं। मुझे पता ही नहीं था मेरे द्वारा चुने गये चौकीदारी सो जायेंगे और जनता का नौकर जनता को हीं जिंदा खाने लगेगा। ये सब कुछ सबके सामने होगा लेकिन हर कोई मौन होगा। किसी ने कितना झूठ बोला था, कुत्ता-कुत्ता का मांस नहीं खा सकता, अगर यह सही होता तो इंसान कैसे इंसान का मांस खाने को तैयार है। 

क्या है मामला
झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के गरदा गांव की रहने वाली जमीला बीबी को अपनी पोती की जान बचाने के लिए एक बोतल खून का दाम 4500 रुपये अदा करना पड़ा। वह भीख मांगकर किसी तरह अपना गुजारा करती है। जमीला का एक दिव्यांग बेटा भी है, जिसे वह हमेशा साथ लेकर चलती है। जह वे अपनी पोती के प्रसव के लिए मेदिनीनगर के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर आई थी, तो यह बताया गया कि खून की जरूरत होगी। यदि कोई रिश्तेदार होगा तो वह खून दे सकता है, पर जमीला के पास तत्काल कोई वैसा व्यक्ति नहीं था। इसका फायदा उठाते हुए उससे पैसे वसूल लिए गए।

रहम खाकर ददिया 4500 रूपये में एक यूनिट खून
लाचार जमीला बताती है कि कुछ देर बाद एक स्टाफ जो अपना नाम मुकेश बता रहा था, उसके द्वारा यह कहा गया कि जल्दी करो वरना देर हो जायेगी। जमीला ने कहा कि खून देने वाला कोई नहीं है तब धीरज नामक किसी व्यक्ति ने उससे बातचीत शुरू की और कहा कि छह हजार रुपये में एक बोतल खून की व्यवस्था करा देंगे। जब जमीला ने कहा कि इतना नहीं हो पायेगा, रोने गिड़गिड़ाने लगी और कुल जमा पैसा 4500 रुपये देने पर राजी हो गयी। 

खून की कमी से ही गई थी पति की जान
जमीला अभी उस घटना को भूल नहीं पायी है। जब खून के अभाव में उसके पति अली मियां की मौत हो गयी थी। वह बताती है कि पिछले साल उसके पति बीमार थे। खून की जरूरत थी, नहीं मिला था। इसके कारण उसके पति की मौत हो गयी। इसलिए इस बार जो था उसे देकर किसी तरह खून की व्यवस्था की उसे कुछ भी पता नहीं कि उसकी पोती का इलाज कौन डॉक्टर कर रहे हैं। बस वह यही बता रही है कि कोई धीरज बाबू थे, जिन्होंने पैसा लेकर खून दिया है।

सोया तंत्र जागेने का कर रहा दावा
पलामू के सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने कहा कि इस मामले की जांच करायी जायेगी। जो पीड़ित है उसका बयान लिया जायेगा। यदि इस मामले में कोई भी अस्पताल का कर्मी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

गरीब का आवाज में दम कहां बाबू
कहते हैं सत्ता हमेसा समर्थवान लोगों की होती है। उसमे गरीब की आवाज गुम हो जाती है। जमीला पढ़ी लखी नहीं है क्या इस लिए कोई उससे खून के पैसे ले लिए, या फिर पति की मौत के डर उसे अधिकारियों तक से पुछने का मौका तक नहीं दिया। या फिर यूं कहें की सरकार से करोड़ों रूपये के विज्ञापन या तो टीवी, पेपर, वेबसाइट और बैनर बनकर रह जाते हैं, लोगों को पता ही नहीं की कानून क्या है और वे कैसे अपने हक प्राप्त कर सकते हैं। खैर जो भी इस गुनाह के लिए किसी को भी आप दोषी ठहरा दें। मेरी तो बस इतनी अपील है आपसे कि इस खबर को भी दुसरी खबर की तरह पढ़ कर भूल जायेगा।