द फॉलोअप टीम, रांची:
छठ महापर्व की गाइडलाइन पर अब राजनेताओं ने ओछी राजनीति शुरू कर दी है. पहले हेमंत सरकार की गाइडलाइन पर राजनीति गरमायी, उसके बाद अब झामुमो के बयान पर सियासी बवाल शुरू हो गया है.
गाइडलाइन में संशोधन के बावजूद ओछी राजनीति
लोक आस्था के महापर्व छठ की गाइडलाइन पर जब झारखण्ड में विरोध हुआ, तो सरकार ने गाइडलाइन में संशोधन कर दिया। लेकिन उसके बाद भाजपाइयों में इसका क्रेडिट लेने की होड़ लग गई. बीजेपी नेताओं के क्रेडिट लेने की होड़ को देखते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कह दिया कि सरकार ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यह गाइडलाइन जारी की थी कि सार्वजानिक घाट पर छठ न मनाएं। लेकिन बीजेपी ने जिस तरीके से इस मसले पर राजनीति की, उससे साफ़ हो गया कि बीजेपी को सिर्फ राजनीति करने से मतलब है, राज्य वासियों की चिंता नहीं है. झामुमो महासचिव ने कहा कि अगर छठ के बाद कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो बीजेपी नेताओं पर हत्या का मुकदमा दर्ज होगा।
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बाबूलाल ने झामुमो नेताओं पर तंज कसा
झामुमो के बयान पर बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विधायक सुदिव्य कुमार और बिनोद कुमार पांडेय की तस्वीर लगाते हुए लिखा है "झारखंड सरकार छठ पूजा के बाद 'संक्रमण फैलने की स्थिति में मुकदमे' की बात कर रही है। जनभावनाओं के समर्थन में यदि जेल जाना पड़े तो तैयार हैं लेकिन झारखंड सरकार ये क्यों भूल रही है कि उनके खुद के लोग छठ पूजा पर तुगलकी फरमान के खिलाफ थे। क्या उन पर भी मुकदमा होगा?
छठ पूजा की गाइडलाइन का कांग्रेस और झामुमो के नेताओं ने भी विरोध किया था.
बता दें कि झारखण्ड सरकार द्वारा छठ महापर्व को लेकर जारी गाइडलाइन का सिर्फ बीजेपी विरोध नहीं कर रही थी, बल्कि झामुमो और कांग्रेस के नेता भी इसका विरोध कर रहे थे. झामुमो के गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार और झामुमो के केंद्रीय महासचिव बिनोद कुमार पांडेय ने मुख्यमंत्री से मिलकर गाइडलाइन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध भी किया था. गाइडलाइन बदल जाने के बाद भाजपा सरकार पर ताने कस रही है. ऐसी राजनीति से जनता में सही संदेश नहीं जा रहा है.