द फॉलोअप टीम, चाईबासा :
जिला प्रशासन वैसे सभी लाभुक, जो वनाधिकार पट्टा पाने की अहर्ता रखते हों, उन्हें विशेष शिविर लगाकर वन अधिकार पट्टा देने की योजना बनायी है। इस संबंध में पश्चिमी सिंहभूम के डीसी अरवा राजकमल ने बताया कि इसके लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधि, मानकी-मुंडा से मेरा आग्रह रहेगा कि 13 दिसंबर 2005 के पहले से क्षेत्र में रहनेवाले छूटे हुए व्यक्ति जिन्हें वन अधिकार पट्टा नहीं मिला है, उन सभी को चिन्हित करने में प्रशासन का सहयोग दें।
18 दिसंबर तक दस्तावेज की जांच होगी
डीसी ने बताया कि बैठक के बाद जिला स्तर पर भी आगामी 18 दिसंबर तक बैठक निर्धारित करने की योजना तय की गई है और सभी संबंधित दस्तावेज चाहे व्यक्ति विशेष का हो या सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा दिलाने का हो, तैयार कर लिए जाएंगे, साथ ही जब झारखंड सरकार के कार्यकाल का 1 साल पूरा होता है, तो एक आयोजन के माध्यम से छूटे हुए सभी योग्य लाभुक को तय सीमा के अंदर वन अधिकार पट्टा उपलब्ध करवाने के लिए जिला प्रशासन कार्य कर रहा है। डीसी ने स्पष्ट किया कि जो तीन पीढ़ी यानी 75 वर्ष से वन भूमि पर वासित हैं, या वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं, ऐसे सभी व्यक्तियों को चिन्हित करते हुए वन अधिकार पट्टा से अच्छादित कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें.......
वन अधिकार पट्टा देने की अहर्ताएं
उपायुक्त ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा देने के लिए कुछ अहर्ताएं हैं, सामुदायिक स्तर पर जंगल की उपज का लाभ उठाया जा रहा हो या, वन भूमि का प्रयोग पशु चरागाह के रूप में किया जा रहा हो, या वन भूमि का प्रयोग करते हुए आवागमन कर रहे हो, या वन क्षेत्र को व्यवस्थित कर रहे हो, ऐसे सभी लोग इसके अंतर्गत आएंगे। उन्होंने बताया कि वन अधिकार पट्टा का मतलब यह नहीं है कि आप वन को काट सकते हैं, लेकिन आप सिर्फ वन भूमि का प्रयोग कर सकते हैं।