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अवैध खनन पर अंकुश लगाना आसान नहीं, माफियाओं की गर्दन तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती

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द फॉलोअप टीम, दुमका : 
शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के चितरागढि़या में चल रहे अवैध खनन की जांच में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जांच करने गई जिला टास्क फोर्स की टीम को वहां खदेड़ दिया गया था। इसलिए इस मामले में तीन दिन बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। पुलिस अबतक न तो शेष लोगों की पहचान कर पाई और न ही आरोपियों को गिरफ्तार कर सकी है। 

पुलिस-प्रशासन पर उठने लगे सवाल
इस संबंध में दुमका के जिला खनन पदाधिकारी दिलीप तांती ने आदित्यनाथ गोस्वामी और समुएल खेरे के विरूद्ध शिकारीपाड़ा थाना में गुरुवार को ही प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दोनों पर झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली 2004 के नियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। कार्रवाई नहीं होने से जिला प्रशासन पर और पुलिस प्रशासन पर अब सवाल उठने लगे हैं।

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20 लोगों की संलिप्तता के आरोप
बता दें कि चितरागढि़या में तकरीबन 20 लोग ऐसे  हैं, जिन पर अवैध खनन में संलिप्तता बतायी गई हैं। ऐसे लोगों द्वारा यहां अवैध तरीके से तकरीबन 150 बीघा से अधिक खास और गोचर जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध खनन किए जाने की खबर है। लेकिन जिला टास्क फोर्स और शिकारीपाड़ा अंचल इस अवैध संगठित धंधे पर नकेल कसने में विफल साबित हो रही है।

इस मामले में यहां के कुछ बाशिंदों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आदित्यनाथ गोस्वामी पत्थर माफियाओं के किंगपिन के रूप में चिह्नित हैं। आदित्यनाथ की पहुंच और रसूख के कारण इसके अवैध कारोबार पर प्रशासन दबिश देने से परहेज करती है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकारीपाड़ा में 300 से भी अधिक पत्थर खदान अवैध रूप से संचालित हैं। खदान चलाने वाले एमएमडीआर एक्ट, फॉरेस्ट एक्ट, फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट एवं एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर अवैध धंधा चलाते हैं लेकिन इन मामलों की जांच नहीं होती है। यहां सबकुछ मैनेजेबुल है।