द फॉलोअप टीम, पटना :
अतिउत्साह से कितनी भद्द पिट जाती है, ये बीजेपी के विधान पार्षद संजय मयूख से ज्यादा और कौन समझ सकता है। 2015 के चुनाव परिणाम से पूर्व ही पोस्टल बैलेट के रुझानों में एनडीए की सरकार बनती दिखने लगी थी। इसी दौरान संजय मयूख पार्टी ऑफिस के बाहर आए और समर्थकों के साथ पटाखे फोड़ने लगे। इस अतिउत्साह के बाद जो हुआ उससे पूरा देश वाकिफ है। महागठबंधन के नतीजों के आगे बीजेपी हांफ गई थी। सवाल ये कि क्या तेजस्वी की पार्टी और समर्थक भी अतिउत्साह में हैं।
तेजस्वी समर्थकों ने उन्हें सीएम मान लिया
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे तो कल आने वाले हैं लेकिन महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव आज से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं और वह आज से ही ' सीएम ऑफ बिहार' बन गए हैं। दरअसल, तेजस्वी यादव का आज 31वां जन्मदिन भी है और कल बिहार चुनाव की काउंटिंग है। ऐसे में तेजस्वी समर्थक आज से ही उन्हें राज्य का सीएम बता रहे हैं। बता दें कि बिहार चुनाव के बाद हुए एग्जिट पोल्स में ज्यादातर में महागठबंधन की सरकार की भविष्यवाणी की गई है।
पटना की सड़कों पर भावी सीएम वाले पोस्टर लगे
बिहार की राजधानी पटना की सड़कों पर तेजस्वी यादव के भावी सीएम वाले पोस्टर भी लग गए हैं। पटना की सड़कों पर तेजस्वी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए पोस्टर लगे हुए हैं। कई पोस्टर में उन्हें बिहार का भावी सीएम बताया गया है। सोशल मीडिया पर 'सीएम ऑफ बिहार' ट्रेंड कर रहा है। बता दें कि तेजस्वी महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार भी हैं और अगर महागठबंधन बिहार चुनाव में जीतता है, तो उनका सीएम बनना तय है। तेजस्वी ने पूरे प्रचार के दौरान रोजगार और बदलाव का मुद्दा उठाया था और उनके कोर वोटर के साथ-साथ युवा वोटरों का भी समर्थन उन्हें मिलता दिख रहा था।
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एग्जिट पोल कभी भी एग्जेक्ट पोल नहीं हो सकता
अब सवाल ये है कि राजद में इस अतिउत्साह से फायदा है या नुकसान। जवाब बिल्कुल सीधा है, यकीन न हो तो एक बार संजय मयूख का उदाहरण याद किया जा सकता है। साथ ही 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम की याद ताजा कर सकते हैं। एग्जिट पोल कभी भी एग्जेक्ट पोल नहीं हो सकता, इसका उदाहरण 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान साफ दिख गया था।
महागठबंधन कहीं अतिउत्साह में तो नहीं!
कुछ एग्जिट पोल ने तो नीतीश माइनस एनडीए को इतने बहुमत से जीता दिया था, जिसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी। लेकिन जब नतीजे आए तो एग्जिट पोल औंधे मुंह धड़ाम होने के साथ उलट भी गए। जितनी सीटें एनडीए को दी जा रही थीं, उतनी नीतीश की अगुवाई वाला महागठबंधन बटोर ले गया था। ऐसे में कहना सिर्फ इतना है कि अभी थोड़ा धैर्य रखिए तेजस्वी जी, 2015 में संजय मयूख भी इसी तरह से पटाखे फोड़ने लगे थे।