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रूसी संस्थान के फरमान से चिंतित 200 झारखंडी छात्र, मामला सुलझाने को संजय सेठ ने विदेश मंत्री को लिखी चिट्ठी

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द फॉलोअप टीम रांची:
बीजेपी के सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को चिट्ठी लिखी है। संजय सेठ ने इस चिट्ठी में रूस में अध्ययनरत भारतीय छात्रों का मुद्दा उठाया है। संजय सेठ ने मांग की है कि विदेश मंत्रालय इन छात्रों की समस्या सुने और इसके समाधान की दिशा में गंभीर प्रयास करे। संजय सेठ ने खासतौर पर उन छात्रों का मसला उठाया है जो झारखंड के निवासी हैं। 

झारखंड के 200 विद्यार्थियों को भविष्य की चिंता
संजय सेठ ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को संबोधित करते हुए जानकारी दी है कि झारखंड के 200 विद्यार्थी रूस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार इन विद्यार्थियों को वापस ले आई थी। अब रूस के शैक्षणिक संस्थान इन छात्रों पर दवाब बना रहे हैं कि वे वापस लौट आएं। संजय सेठ ने कहा कि रूस में अभी कोरोना वायरस का संक्रमण थमा नहीं है, बावजूद इसके रूस द्वारा इन छात्रों पर दवाब बनाया जा रहा है। 
बकौल संजय सेठ, शैक्षणिक संस्थानों द्वारा डाले जा रहे दवाब की वजह से छात्रों के अभिभावक भी काफी दवाब और चिंता में हैं। संजय सेठ ने विदेश मंत्रालय से मामले में दखल देने की मांग की है। 

कोरोना की वजह से रूस जाने में डर रहे छात्र
संजय सेठ ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण थमा नहीं है, ऐसे में छात्रों पर दवाब बनाया जाना सही नहीं है। संजय सेठ ने दावा किया कि संस्थानों के डर की वजह से छात्र मुद्दे पर बोलने के लिए खुलकर सामने नहीं आ रहे। संजय सेठ की चिट्ठी के मुताबिक छात्रों को डर है कि उन्होंने कुछ बोला तो उनका करियर दांव पर लग सकता है। उन्हें इस बात की भी चिंता है कि भविष्य में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। संजय सेठ ने मांग की है कि विदेश मंत्रालय को मामले में दखल देकर छात्रों की समस्या सुलझानी चाहिए। 

रूसी संस्थानों के भारतीय एंजेट बना रहे दवाब
संजय सेठ की चिट्ठी से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल में एक भारतीय छात्र की मौत रूस में हो गई थी। परिजनों को उस छात्र का शव भारत लाने में लाखों रुपये खर्च करने पड़े थे। विद्यार्थियों को एक तरफ जहां जिंदगी की चिंता है तो वहीं दूसरी और करियर गंवा देने का डर। वे उहापोह की स्थिति में हैं कि क्या किया जाए। संजय सेठ ने विदेश मंत्रालय को लिखी अपनी चिट्ठी में आग्रह किया है कि मंत्रालय रूस की सरकार के साथ बात करके छात्रों को समस्या से निजात दिलाए। 

विद्यार्थियों का कहना है कि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी लेकिन अब जब पढ़ाई अंतिम चरण में है, रूसी संस्थानों के भारतीय एजेंट उन पर दवाब बना रहे हैं कि उन्हें रूस जाना ही होगा।