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मात्र 56 रुपये 50 पैसे से पचास साल पहले शुरू हुआ था गोस्सनर कॉलेज, जानिये इतिहास की झलकियां

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द फॉलोअप टीम, रांचीः
गोस्सनर कॉलेज आज अपना 50 वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर दो दिवसीय गोल्डन जुबली समारोह का आज बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आग़ाज़ किया। सान्निध्य वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का रहा। इस रपट में चलिये जानते हैं, इसके इतिहास और यादों की कुछ झलकियां।


गोस्सनर कॉलेज की स्थापना
गोस्सनर कॉलेज रांची की स्थापना 1 नवंबर 1971 को हुई थी। यह कॉलेज बिहार सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए चलाया जानेवाला पहला कॉलेज था। इसकी शुरुआत अनुसूचित जाति और जनजाति के उत्थान के लिए किया गया था। मिशनरियों ने भारत में शिक्षा का विस्तार और क्वॉलिटी एजुकेशन को बढ़ावा दिया है। देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में ईसाई मिशनरी का काफी योगदान है। देश के कई प्रसिद्ध युनिवर्सिटी-कॉलेज और स्कूल इनके ही हैं। गोस्सनर कॉलेज भी उनमें से एक है। इसका संचालन जीईएल (गोस्सनर इवैजलिकल लुथरेन) चर्च करता है। 


 

कॉलेज की अपनी बिल्डिंग तक नहीं थी 
जब कॉलेज की शुरुआत हुई थी तब इसके पास अपना मकान या बिल्डिंग तक नहीं था।  उस समय कॉलेज बेथेसदा कैंपस में चलाया जाता था। कॉलेज की शुरुआत बिशप डॉ निर्मल मिंज ने मात्र 56 रुपये 50 पैसे में की थी। शुरुआती दौर में कॉलेज में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती थी। पर आज यहां 28 विभिन्न विषयों और 5 वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई हो रही है। जानकारी के अनुसार, कॉलेज में वर्तमान में 13 हजार स्टूडेंट्स कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वर्तमान में इसकी प्रिंसिपल प्रो. ईलानी पूर्ति हैं।