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सरना धर्मकोड की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों ने रांची, गुमला समेत पूरे राज्य के हाईवे को जाम किया

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द फॉलोअप टीम, रांची
झारखंड के तमाम आदिवासी संगठनों ने अपने तय कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार को जनगणना फॉर्म में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति समेत कई आदिवासी संगठन सड़क पर उतर आए हैं।  आज राज्यव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया गया है। इसके कारण रांची का अलबर्ट एक्का चौक पूरी तरह से जाम हो गया है। बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद हैं। हालांकि प्रेस, दूध, एंबुलेंस और स्कूल बस समेत आवश्यक सेवाओं को मुक्त रखा गया है। रांची, गुमला समेत पूरे राज्य के हाईवे, जिले और शहर के इंट्री प्वाइंट को जाम किया गया। रांची के अलबर्ट एक्का चौक में बुधवार की शाम मशाल जुलूस भी निकाला गया था।

17 अक्तूबर को तमाड़ में जागरुकता सम्मेलन 
इधर, आदिवासी जन परिषद की बैठक करम टोली में प्रेमशाही मुंडा की अध्यक्षता में हुई। इसमें 20 अक्तूबर को आयोजित मानव श्रृंखला एवं आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की गई। बैठक में आदिवासी धर्म कोड के अभियान को तेज करने के लिए सभी जिलों, प्रखंडों और देश के विभिन्न प्रदेशों में भी दौरा करने का निर्णय लिया गया। साथ ही 17 अक्तूबर को तमाड़ प्रखंड के अंतर्गत दिवड़ी जादुर आखड़ा में पांच परगना क्षेत्र से धर्म कोड के लिए जागरुकता सम्मेलन किया जाएगा।

'राजनीतिक षडयंत्र हो रहा है'
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि मानसून सत्र में आदिवासी धर्म कोड बिल पारित नहीं करना राजनीतिक षडयंत्र है। मालूम हो कि इस मामले को लेकर लंबे वर्षों से झारखंड सहित पूरे देश में संघर्ष जारी है। यह भी बताते चलें कि धर्म कोड को जनगणना फोरम में शामिल करने या ना करने का अधिकार भारत सरकार की अनुशंसा पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया करती है।

'घटती जा रही है आदिवासियों की संख्या' 
12 करोड़ से अधिक निवास करनेवाले प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का धर्म कोड नहीं है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि अपना धर्म कोड नहीं होने के कारण 10 वर्ष में जब जनगणना होती है तो प्रकृति आदिवासियों की गणना या तो ईसाई धर्म में कर दी जा रही है या हिंदू में या अन्य में। इससे आदिवासियों की संख्या हर 10 साल में बढ़ने की बजाय घटती जा रही है।