logo

बलात्कार और अपराधिक घटनाओं का डाटा छुपा रही है हेमंत सरकार

3205news.jpg
29 दिसंबर को हेमंत की नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अपना एक साल पूरा करने पर जनता के बीच रिपोर्ट कार्ड लेकर आ रही है, ऐसे में पुलिस की वेबसाइट पर अपराध की घटनाओं के आंकड़ों का नहीं होना सराकर के लिए फायदेमंद है। 

द फॉलोअप टीम, रांची 
झारखंड में हो रही बलात्कार की घटनाएं नेशनल मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। हाल ही में दुमका में 5 बच्चों की मां के साथ 17 लोगों द्वारा किए गए दुष्कर्म से पूरा देश दहल गया है, लेकिन सराकर इन सब से बेअसर अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगी है। झारखंड पुलिस की वेबसाइट पर सितंबर महीने के बाद से बलात्कार से सहित अन्य अपराध से संबंधित आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। वेबसाइट पर सितंबर 2020 तक का ही डाटा दिख रहा है, जो कि आम बात नहीं है। झारखंड में अपराध की घटनाओं को ब्यौरा खुद ही जमा हो जाता है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। इसमें 2 महीने का समय लगना कई सवाल खड़े करता है। 
आमतौर पर माह खत्म होने के कुछ दिनों बाद यह डाटा अपलोड किया जाता है। विशेष परिस्थियों में तकनीकी कारणों से इसमें महीने भर का समय लग जाता है। लेकिन संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि अपराध की घटनाओं के मासिक आंकड़े जारी करने में 2 महीने लग गए हों। 



सरकार द्वारा रिपोर्ट कार्ड पेश करने से पहले डाटा गायब होने का अर्थ 
29 दिसंबर को हेमंत की नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अपना एक साल पूरा करने जा रही है। इसी दिन सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के बीच लेकर आ रही है। ऐसे में पुलिस की वेबसाइट पर अपराध की घटनाओं के आंकड़ों का नहीं होना सराकर के लिए फायदेमंद है। अब सवाल है कि क्या सरकार को फायदा पहुंचाने के लिए झारखंड पुलिस की वेबसाइट पर से आंकड़े गायब हैं। हालांकि डीजीपी एमवी राव और रांची आईजी साकेत कुमार से इसी संबंध में बात करने की कोशिश की गई, लेकिन डीजीपी ने फोन नहीं उठाया और आईजी ने मैसेज पर बात करने को कहा। लेकिन मैसेज पर भी उनका जवाब नहीं आया। 

क्या कहते हैं सितंबर तक के आंकड़े 
अपराध की बात करें तो सितंबर का महीना साल 2020 के सबसे खराब महीना रहा है। इस महीने में सबसे ज्यादा 5635 अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। वहीं सिर्फ बलात्कार को देखा जाए तो सितंबर तीसरा सबसे खराब महीना रहा है। इस महीने 166 बलात्कार की घटनाएं पुलिस के रिकॉर्ड में आई हैं। सबसे ज्यादा जून में 176 और उसके बाद मई में 169 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। इन 9 महीनों में राज्य में 1359 बलात्कार की घटनाएं हुई हैं। अन्य दो महीनों में जो मामले दर्ज हुए हैं, वे अभी तक वेबसाइट पर नहीं डाले गए हैं। 




विपक्ष ने घेरा, कहा - मंशा जाहिर करे सरकार 
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने डाटा जारी नहीं होने पर सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि केंद्र से मिले निर्भया फंड को किस-किस मद में कितना प्रतिशत खर्च किया गया है। यह भी कहा कि प्रतुल ने कहा कि पिछले एक वर्ष में एक भी बलात्कारी को स्पीडी ट्रायल के जरिए सजा नहीं दिलाई गई है, जबकि राज्य सरकार ने 1 वर्ष में ही बलात्कारियों को सजा दिलाने का वादा किया था। राज्य सरकार को यह भी बताना चाहिए लॉकडाउन में स्कूल, कॉलेज, बाजार, दफ्तर सब बंद रहने के बावजूद बलात्कार की इतनी घटनाएं कैसे बढ़ गई। 

डाटा अपडेट करने का काम सरकार का नहीं – सुप्रीयो
सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने आंकड़े नहीं जारी होने पर कहा है कि यह काम सरकार का नहीं है। झारखंड पुलिस और NCRB डाटा अपडेट करने का काम करती है, उन्हीं से इस बारे में पूछा जाना चाहिए। प्रतुल शाहदेव द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब मांगने पर उन्होंने कहा कि प्रतुल वाचाल व्यक्ति हैं, उनके सवालों का जवाब वे नहीं देना चाहते हैं।