द फॉलोअप टीम :
दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई शुरू होने के बाद अब कोचिंग खोलने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में कोचिंग संचालक सड़क पर उतरे। कोचिंग संचालकों ने झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के बैनर के तहत प्रदर्शन किया। रांची के न्यूक्लियस मॉल से लेकर लालपुर चौक तक कोचिंग संचालकों ने पैदल मार्च किया। एसोसिएशन के सुनील जायसवाल ने कहा कि सत्ता पक्ष, विपक्ष, स्पीकर और सीएम से मिलकर कोचिंग खोलने की गुहार लगा चुके हैं। हजारों शिक्षकों के सामने भुखमरी के हालात हैं। सरकार को इन शिक्षकों के तरफ भी ध्यान देना चाहिए।
सौतेला व्यवहार कर रही सरकार
एसोसिएशन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि कोचिंग संस्थानों के साथ राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकार 10वीं और 12वीं का स्कूल खोलने का इजाजत दे दी है। ट्रेनिंग और टेक्निकल इंस्टीट्यूट खोलने का इजाजत दे दी है। फिर कोचिंग संस्थानों को क्यों बंद रखा गया है। स्थिति सामान्य होने के बाद अन्य सरकारें भी कोचिंग खोलने की अनुमति दे रही है।
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शिक्षकों के सामने बेरोजगारी की स्थिति
संचालकों ने सरकार से अपील की है कि कोचिंग बंद रहने से न केवल सैकड़ों शिक्षकों के सामने बेरोजगारी की स्थिति है बल्कि इससे हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। कोचिंग बंद होने से हॉस्टल, लॉज, बुक स्टोर्स, ऑटो चालक व कई अन्य लोगों के रोजगार पर सीधा असर पड़ रहा है।
किराया चुकाने में भी हैं मजबूर
कोचिंग संचालकों ने कहा कि इस बार न तो नए एडमिशन हुए और न ही सालभर फीस आई। आमदनी बंद हो जाने से संस्थानों की हालत खराब होती जा रही है। ऐसे में अब संस्थान का किराया भी नसीब नहीं हो रहा। कुछ शिक्षक घर चलाने के लिए पत्नी का जेवर तक बेचने को मजबूर हैं।