दिल्लीः
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 11वें मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायधीशों की कॉन्फ्रेंस में देश के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कई बार कोर्ट के फ़ैसले को सरकार सालों साल तक लागू नहीं करती। जानबूझ कर कोर्ट के ऑर्डर पर कार्रवाई ना करना देश के लिए ठीक नहीं है। कई बार कानून विभाग की सुझाव और राय को एक्जीक्यूटिव नज़रअंदाज़ करके निर्णय लेते हैं। पॉलिसी बनाना हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है तो अदालत मुंह नहीं मोड़ कर सकती।
सभी अपना काम ठीक से करे तो लोगों को कोर्ट नहीं आना पड़ेगा
जस्टिस रमन्ना ने कहा, "संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारियों को विस्तार से बांटा गया है। हमें अपनी 'लक्ष्मण रेखा' का ख्याल रखना चाहिए। अगर गवर्नेंस का कामकाज कानून के मुताबिक़ हो तो न्यायपालिका कभी उसके रास्ते में नहीं आएगी। अगर नगरपालिका, ग्राम पंचायत अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन करें, पुलिस उचित तरीके से केस की जांच करे और ग़ैर-क़ानूनी कस्टोडियल प्रताड़ना या मौतें ना हों तो लोगों को कोर्ट आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। "
व्यक्तिगत हित याचिका में बदला गया है जनहित याचिका
सीजेआई ने यह भी कहा कि संबंधित लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को शामित करते हुए अबकि बार कानून बनाया जाना चाहिए अवसर अधिकारियों के ठीक से काम न करने और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है। ये डालने योग्य है। सीजेआई ने कहा कि जनहित याचिका के पीछे नेक इरादों का दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकारणों को परेशान करने के लिए व्यक्तिगत हित याचिका में बदल दिया गया है।
ये सभी रहे मौजूद
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री किरेन रिजीजू, राज्यों के मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट के जस्टिस, ट्रिब्यूनल के प्रमुख और तमाम न्यायिक अधिकारी शामिल हुए।