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शादी से 12 साल बाद हुए थे जुड़वा बच्चे, मां ने कुंए में फेंककर मार डाला

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द फॉलोअप डेस्क
ओडिशा में एक महिला ने अपने जुड़वा बच्चों को कुंए में फेंककर मार डाला। बच्चे महज 3 माह के थे। कहा जा रहा है कि महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से पीड़ित है, इस कारण ही उसने यह कदम उठाया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी और उसके पति को पिछले 12 वर्षों से कोई बच्चा नहीं हो रहा था। दंपति ने IVF के जरिए जुड़वां बच्चों के मां-बाप बने। पूरा परिवार काफी खुश था लेकिन महिला ने अपने हाथों से अपनी खुशी का गला घोट लिया। जुड़वा बच्चों  में एक लड़की और एक लड़का था। आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना के बाद पूरे परिवार में मातम छाया हुआ है। परिजनों ने महिला के लिए सख्त सजा की मांग की है। 


महिला ने पति के सामने अपराध कबूला
मामला ओडिशा के अंगुल जिले का है। जहां 27 साल की तपस्विनी साहू ने अपने बच्चों को मार डाला। महिला ने अपने बच्चों को बसाला गांव के मुंडाधिपी साही में घर के पीछे मौजूद कुएं में फेंका था। जिसके बाद परिजनों से कहा कि दूध लेने के लिए बाहर गई थी तो उस वक्त दोनों बच्चे सो रहे थे। जब वह वापस आई तो बच्चे वहां नहीं थे। परिवार और उनके पड़ोसियों द्वारा काफी खोजबीन के बाद बच्चों के शव कुएं में तैरते हुए पाए गए। बच्चों को कुएं में तैरते देख हड़कंप मच गया। फौरन स्थानीय लोग उन्हें बंटाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया गया। इस बीच परिवार को बच्चों की हत्या के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर महिला ने अपने पति के सामने अपराध कबूल कर लिया।
कभी-कभी कहती थी कि बच्चे उसके नहीं हैं- आरोपी की ननद
आरोपी की ननद ने बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से थकान की शिकायत कर रही थी क्योंकि बच्चे पूरी रात रोते थे। वह अक्सर अपनी जिंदगी खत्म करने की बात करती थी। कभी-कभी कहती थी कि बच्चे उसके नहीं हैं। हमने तब इसे गंभीरता से नहीं लिया। तपस्विनी और सुनील की शादी के 12 साल बाद जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ था। महिला के जीजा ने कहा कि ये बच्चे पूरे परिवार में पहले बच्चे थे, इसलिए हर कोई खुश था। उन्होंने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने बच्चों को मार सकती है। मैं उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूं।"


11 अक्टूबर को हुआ था बच्चों का जन्म
अंगुल के पुलिस अधिकारी रमाकांत महालिक ने कहा कि आरोपी और उसके पति को पिछले 12 वर्षों से कोई बच्चा नहीं हो रहा था। दंपति ने IVF के जरिए जुड़वां बच्चों के मां-बाप बने। बच्चों का जन्म 11 अक्टूबर को हुआ था। जुड़वां बच्चे उनकी पहली संतान थे। उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों से तपस्विनी को मानसिक बीमारी हो गई थी और कुछ स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें हो रही थीं। पूछताछ के दौरान उसने अपने जुड़वा बच्चों की हत्या करना स्वीकार कर लिया है। घटनाओं को समझने से पता चलता है कि महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से पीड़ित थी। कुछ दिनों से उसके परिवार वाले ये सब नोटिस कर रहे थे। लेकिन स्थिति बिगड़ती गई और महिला ने परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति में जुड़वा बच्चों को कुएं में फेंक दिया जिससे उनकी मौत हो गई। प्रथम दृष्टया सबूतों के आधार पर हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है।"
 

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