द फॉलोअप डेस्क
केरल हाईकोर्ट ने 2024 में न्यायिक दक्षता का एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। इस वर्ष 110,000 से अधिक मामलों का निपटारा करके अदालत ने लंबित मामलों को कम करने और न्याय की प्रक्रिया को गति देने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। अगर औसत देखें तो यहां हर दिन 10000 हजार फैसले सुनाये गये। यह उपलब्धि अदालत की प्रतिबद्धता और कानूनी प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाने के प्रयासों को दर्शाती है।
1 जनवरी से 27 दिसंबर, 2024 तक, अदालत ने अपनी समर्पित न्यायपालिका के सहयोग से कुल 110,666 मामलों का समाधान किया। इस दौरान, न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने 11,140 मामलों का निपटारा करके शीर्ष प्रदर्शन किया। उनके बाद न्यायमूर्ति सी एस डायस ने 8,320 और न्यायमूर्ति नागरेश ने 6,756 मामलों का निपटारा किया।
अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं में न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस और देवन रामचंद्रन शामिल हैं, जिन्होंने क्रमशः 6,642 और 6,196 मामलों को निपटाया। इसके अतिरिक्त, न्यायमूर्ति डी के सिंह ने 5,140, न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास ने 4,872, न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ ने 4,172, न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 3,739, न्यायमूर्ति बदरुद्दीन ने 3,435 और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तमन ने 3,059 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया।
केरल हाईकोर्ट में 35 स्थायी और 12 अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित कुल 47 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है, जिनमें से वर्षभर 45 न्यायाधीश कार्यरत रहे। अदालत की यह पूरी ताकत लंबित मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने में सहायक सिद्ध हुई है। इस उपलब्धि ने केरल हाईकोर्ट को न्यायिक प्रणाली में एक सशक्त उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे न केवल मामलों के समाधान की गति बढ़ी है बल्कि न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।