द फॉलोअप नेशनल डेस्क
शऱाब पीकर जज साहब अदालत आते थे। उनको नौकरी से निकाल दिया गया। इसके खिलाफ महाराष्ट्र के इस जज ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में आज उनको राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि एक जज को अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। उनको फिर से नौकरी पर बहाल नहीं किया जा सकता है। कहा कि न्यायपालिका की छवि को इससे चोट पहुंची है। आम जनता एक जज से ये अपेक्षा करती है वो समय का पाबंद हो औऱ अच्छे बर्ताव करने वाला हो। आरोपित जज अनिरुद्ध पाठक ने इन बातों की परवाह नहीं की।
ये आरोप लगे हैं जज पर
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के एक जज को न्यायिक अकादमी में नशे की हालत में पहुंचने और प्राय: अनुशासनहीनता करने के आरोप में नौकरी से हटा दिया गया था। जज की नौकरी कोर्ट में लोगों से गलत व्यवहार के कारण चली गयी थी। साथ ही कई बार उनको नशे की हालत में कोर्ट कैंपस में पाया गया था। आरोपी जज का नाम अनिरुद्ध पाठक बताया गया है। मिली खबर के मुताबिक पाठक के खिलाफ कई बार उनके सहकर्मियों ने ही शिकायत की थी। इस मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट की एक बेंच ने सुनवाई की और उनको राहत देने से इनकार कर दिया।
क्या कहा कोर्ट ने
सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कहा, 'जजों और न्यायिक अधिकारियों को गरिमापूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि पर विपरीत असर पड़ता हो। अगर ऐसा होता है तो जनता के बीच इसका गलत मैसेज जाता है।' कोर्टन ने आगे कहा, अनिरुद्ध पाठक को जिन आरोपों में नौकरी से हटाया गया, उनमें समय का पालन नहीं करना, अकसर छुट्टी पर रहना और न्यायिक अकादमी में नशे की हालत में पहुंचा है। कहा, जज को हटाये जाने का फैसला सही है। उनको राहत नहीं दी जा सकती।
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